Wednesday, September 23, 2015

ईमानदारी को संस्कृत -हिन्दी में क्या कहेंगे?



मेरे आदरणीय मित्र Gunjan Sinha जी ने अपनी फेसबुक वाल पर एक सवाल पूछा है:
#ईमानदारी को #संस्कृत /#हिन्दी में क्या कहेंगे?

#ईमान से ईमानदार तो किस पर ईमान? 
#मजहब पर और सिर्फ मजहब पर ईमान रखने का संदर्भ हो सकता है।
कौन सा मजहब?
वह मजहब जो इस मूल शब्द की भौगोलिक-सांस्कृतिक ज़मीन से निकला यानी #इस्लाम।

इसी से जुड़ा है दूसरा सवाल और उसका उत्तर भी,
यानी #मुसलमान कौन है?

तो मुसलमान वह है जो इस्लाम में मुकम्मल या
#मोसल्लम_ईमान रखता है ।
फिर इस्लाम क्या है?

वह मजहब जिसमें एक ही सर्वशक्तिमान #अल्लाह है और उसका संदेश उसके अंतिम #रसूल #मोहम्मद को हुए #इलहाम द्वारा जाहिर किया गया है ।

उपरोक्त संदर्भ में ईमानदार और ईमानदारी अनुवाद की सीमा से इसलिए बाहर हैं कि वे मौलिक रूप से एक- किताबी  और एक-पैगंबरी मजहब के भाषा-सांस्कृतिक भूगोल से जुड़े हैं ।

इसका संस्कृत/हिन्दी #समानार्थी व्यवहारतः व्यक्ति के #मजहब_निरपेक्ष #कर्तव्य को व्यक्त करता है।
जैसे #सत्यनिष्ठ , #कर्तव्यनिष्ठ।

इसमें #सत्य और कर्तव्य दोनों ही  #सनातन हैं , मत या मजहब-निरपेक्ष हैं जबकि ईमानदार- ईमानदारी का भाषाई और #सांस्कृतिक_भूगोल इसकी अनुमति नहीं देता।

बाकी लोग कुछ जोड़-घटाव करें और इसे सिर्फ #थीसिस मानें नहीं तो इसका हाल #नेपाली_कामरेडों के जिम्मे उनके संविधान जैसा हो जाएगा।

4 comments:

  1. आपने ईमानदारी का संस्कृत अनुवाद नहीं

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  2. भाषा की कमियो को लच्छेदार दार्शनिक शब्दो/वाक्यो से छिपाने से कोई लाभ नही,सच तो ये है,संस्कृत भाषा में ईमानदारी/ ईमानदार शब्द का कोई उल्लेख ही नही है ! व्यवहारिक दृष्टिकोण से ये भाषा केवल सीधे साधे लोगो को मुर्ख बनाने का माध्यम भर रही है !

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    1. वा फट्टे जैसे तुमने ही संस्कृत का पूर्ण अध्ययन करके सब कुछ समझकर यह बताने का प्रयास किया है संस्कृत का कोई शब्दकोश ही नहीं है। अरे मित्र यह पता होना चाहिए कि संस्कृत में अपना स्वयं का विश्वास का सबसे समृद्ध शब्दकोश है। एक भी ग्रन्थ का पूर्ण अध्ययन किया है नहीं और आ गये अपना संकीर्ण विचार लेकर। यह पता तो होगा कि संस्कृत सभी भाषाओं की जननी है। एक बार सम्यक् अध्ययन कीजिए तभी तो अवश्यगमन हो पायेगा।1500 वर्षों से पुरातन तो ईस्लाम का अस्तित्व है नहीं।

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    2. tujhe pata bhi nahi....ya ese hi bol diya...sanskrit bhasha ati prachin bhasha hai...

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