हमारी सहकर्मी डा आभा विरमानी ने ह्वाट्जऐप पर शेयर किया कि खुशवंत सिंह के पिता शोभा सिंह को शहीद भगतसिंह के खिलाफ गवाही के एवज में 'सर' की उपाधि मिली थी , कनाट प्लेस में निर्माण की ठेकेदारी भी।वे 1978 में इस देश की राजधानी के सर्वाधिक सम्मानित लोगों में एक थे जब उनकी मृत्यु हुई ।
सवाल उठता है कि ऐसा क्यों होता है?
सैकड़ों सालों की गुलामी ने भारत के बौद्धिक तबके को एकदम नक्काल और मानसिक तौर पर गुलाम बना दिया।ऐसा नकली बुद्धिविलासी आभिजात्य वर्ग पूरी दुनिया में कहीं नहीं मिलेगा।गुलाम खुद में कमियां बताकर मालिक को वैसे ही खुश करते जैसे बंदर मदारी को। इसका सबसे सटीक उदाहरण बोस, आंबेडकर और पटेल के साथ नेहरू का व्यवहार है ।
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