अजब बात है , जात पर बात करिये तो लोग एतराज करते; मजहब पर बात करो तो एतराज ; और दलों के आंतरिक लोकतंत्र बात करो तो एतराज।
लेकिन राजकुमार राहुल बाबा काँग्रेस की नइया कैसे पार लगाएँगे, इस पर खूब बात करिये क्योंकि यह सेकुलर है, देशहित में है।
फिर क्या मजहब, क्या जाति, क्या हिन्दू-मुसलमान और क्या अलग-अलग भाषा और बोलियाँ, सब चलेगा।लोकतंत्र में नेहरू वंश के लिए कुछ भी चलेगा।
यानी वैसे तो 'अहिंसा परमो धर्मः' लेकिन जब सेकुलर-वामी ब्रिगेड का मामला हो तो 'सेकुलर हिंसा हिंसा न भवति' !
खासकर काँग्रेस-सेकुलर पार्टियों के आंतरिक लोकतंत्र पर जरा बातें करिये, ये पूरा झोला-ब्रिगेड आपके पीछे पड़ेगा।
क्यों?
क्योंकि इसे लोकतंत्र से ही चिढ़ है।
लोकतंत्र का मतलब है बहुमत की भावनाओं का आदर लेकिन अल्पमत की वाजिब जरूरतों का पूरा ख्याल रखते हुए।
पर यहाँ तो गद्धा घोड़े की सवारी कर रहा है।बहुमत को अपराधी साबित करना है।उसकी उदारता को कायरता और समृद्धि को गरीबी घोषित करना है ।
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फिर नेताजी को रास्ते से हटाने के लिए अंग्रेज़ों और रूसियों से हाथ मिलाने वाले नेहरू नटवर लाल की काँग्रेस और उसकी पिट्ठू सेकुलर-वामी पार्टियों से और क्या उम्मीद की जा सकती है!
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लेकिन राजकुमार राहुल बाबा काँग्रेस की नइया कैसे पार लगाएँगे, इस पर खूब बात करिये क्योंकि यह सेकुलर है, देशहित में है।
फिर क्या मजहब, क्या जाति, क्या हिन्दू-मुसलमान और क्या अलग-अलग भाषा और बोलियाँ, सब चलेगा।लोकतंत्र में नेहरू वंश के लिए कुछ भी चलेगा।
यानी वैसे तो 'अहिंसा परमो धर्मः' लेकिन जब सेकुलर-वामी ब्रिगेड का मामला हो तो 'सेकुलर हिंसा हिंसा न भवति' !
खासकर काँग्रेस-सेकुलर पार्टियों के आंतरिक लोकतंत्र पर जरा बातें करिये, ये पूरा झोला-ब्रिगेड आपके पीछे पड़ेगा।
क्यों?
क्योंकि इसे लोकतंत्र से ही चिढ़ है।
लोकतंत्र का मतलब है बहुमत की भावनाओं का आदर लेकिन अल्पमत की वाजिब जरूरतों का पूरा ख्याल रखते हुए।
पर यहाँ तो गद्धा घोड़े की सवारी कर रहा है।बहुमत को अपराधी साबित करना है।उसकी उदारता को कायरता और समृद्धि को गरीबी घोषित करना है ।
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फिर नेताजी को रास्ते से हटाने के लिए अंग्रेज़ों और रूसियों से हाथ मिलाने वाले नेहरू नटवर लाल की काँग्रेस और उसकी पिट्ठू सेकुलर-वामी पार्टियों से और क्या उम्मीद की जा सकती है!
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