जेएनयूः बोवै पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से होय ?
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में देशतोड़कों को मिल रही पनाह पर जिन्हें झटका लगा हो उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि कश्मीर और तिब्बत की समस्या, चीनी हमला और कम्युनिस्ट तानाशाह स्टालिन की मदद से नेताजी को जीते जी मृत घोषित करने का सेहरा उस व्यक्ति के सर बंधा है जिसके नाम से यह विश्वविद्यालय है।
क्या जवाहरलाल नेहरू गर्व से नहीं कहते थे:
'मैं सिर्फ तन से भारतीय हूँ, मन से तो यूरोपीय ही हूँ'?
दूसरे शब्दों में, मानसिक गुलामी और अराष्ट्रीयता तो जेएनयू के डीएनए में है।तो भाई, "बोवै पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से होय"?
#PMO #HMO #MHRD #SmritiIrani #AjitDobhal
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) में देशतोड़कों को मिल रही पनाह पर जिन्हें झटका लगा हो उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि कश्मीर और तिब्बत की समस्या, चीनी हमला और कम्युनिस्ट तानाशाह स्टालिन की मदद से नेताजी को जीते जी मृत घोषित करने का सेहरा उस व्यक्ति के सर बंधा है जिसके नाम से यह विश्वविद्यालय है।
क्या जवाहरलाल नेहरू गर्व से नहीं कहते थे:
'मैं सिर्फ तन से भारतीय हूँ, मन से तो यूरोपीय ही हूँ'?
दूसरे शब्दों में, मानसिक गुलामी और अराष्ट्रीयता तो जेएनयू के डीएनए में है।तो भाई, "बोवै पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से होय"?
#PMO #HMO #MHRD #SmritiIrani #AjitDobhal
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