Saturday, February 6, 2016

बराक हुसैन ओबामा तो राजीव 'ख़ान' गाँधी क्यों नहीं?

कहा जा रहा है कि अगर ईसाई बहुल अमेरिका के लोग बराक हुसैन ओबामा के पिता के मुसलमान और माँ के ईसाई होने के बाद उन्हें सब जानते हुए अपना दो बार राष्ट्रपति चुन सकते हैं तो हिन्दू बहुल भारत में ऐसा क्यों नहीं?
इसका जवाब यह है कि हिन्दू बहुल भारत ने तो मुसलमान बहुल इलाकों के मुसलमानों के मजहब के  आधार पर दो राष्ट्रों के सिद्धांत को अपने ऊपर लागू न करते हुए भी पाकिस्तान की हिंसात्मक माँग को लागू होने दिया जो ईसाई या मुसलमान बहुल दुनिया में असंभव सा है।
इसी उदारता में नेहरू- गाँधी खानदान का फर्जीवारा भी खप गया।
लेकिन लोग अगर अब पूछ रहे हैं तो उन्हें यह जानने का हक है।
मैं हिन्दू हूँ और कोई हिन्दू नामधारी हिन्दुओं की निर्लज्ज और निरर्थक आलोचना कर रहा है तो मुझे यह हक है कि आलोचक के मजहब को भी जानूँ।जैसे एक इवाँजेलिस्ट हैं सुनील सरदार जो हिन्दुओं की पानी पी पीकर आलोचना करते हैं बिना यह बताये क वे ईसाई हैं और मताँतरण उनका धंधा है।
अगर कोई सच्चा है और सही काम कर रहा है तो उसे अपना मजहब छिपाने की क्या जरूरत?
बराक हुसैन ओबामा ने तो नहीं छुपाई अपनी आस्था और पृष्ठभूमि।फिर भारत तो अमेरिका क्या दुनिया के किसी भी देश से ज्यादा उदार है जिसके लिए सेकुलर-वामी-सामी-लिबरल उद्योग के धंधेबाज़ों से प्रमाणपत्र की एकदम जरूरत नहीं है।

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