तंज़ील देशद्रोही होते तो उनके परिवार का दामन नोटों और सहानुभूति से भर दिया जाता!!
कश्मीर की आज़ादी की दिवानी निवेदिता मेनन, उनके चेले उमर खालिद और कन्हैया कुमार, भारत के टुकड़े-टुकड़े करनेवालों के साथ खड़े राष्ट्रवाद के पुरोधा इरफान हबीब, रोमिला थापर, हरबंस मुखिया और जेएनयू का बाकी अफ़ज़ल प्रेमी गैंग अभी अपनी पिछली जयचंदी करतूतों के लिए मिली वाहवाही के नशे से उबरा नहीं है !
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फिर यूपी में अभी चुनाव भी नहीं हो रहे जहाँ तंज़ील की हत्या हुई है।अगर तंज़ील अहमद देशद्रोही होते तो आज उनके परिवार का दामन नोटों और सहानुभूति से भर दिया जाता!!
कश्मीर की आज़ादी की दिवानी निवेदिता मेनन, उनके चेले उमर खालिद और कन्हैया कुमार, भारत के टुकड़े-टुकड़े करनेवालों के साथ खड़े राष्ट्रवाद के पुरोधा इरफान हबीब, रोमिला थापर, हरबंस मुखिया और जेएनयू का बाकी अफ़ज़ल प्रेमी गैंग अभी अपनी पिछली जयचंदी करतूतों के लिए मिली वाहवाही के नशे से उबरा नहीं है !
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फिर यूपी में अभी चुनाव भी नहीं हो रहे जहाँ तंज़ील की हत्या हुई है।अगर तंज़ील अहमद देशद्रोही होते तो आज उनके परिवार का दामन नोटों और सहानुभूति से भर दिया जाता!!
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