Thursday, December 22, 2016

दुनियाभर में शांति का सबसे बड़ा ख़तरा है चीन

दुनियाभर में शांति का सबसे बड़ा ख़तरा है चीन जिसका एक फ्रंट है उत्तर कोरिया और दूसरा फ्रंट है पाकिस्तान।लेकिन यह बात लालबुझक्करों को तब समझ में आयेगी जब उनके लायक कुछ बचेगा ही नहीं। 15 साल तक एक कम्युनिस्ट  पार्टी से जुड़ा रहने के आधार पर कह सकता हूँ कि इनके जैसा प्रचण्ड आत्महंता मूर्ख पूरी राजनैतिक बिरादरी में ढूंढें नहीं मिलेगा।
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दूसरी बात, अपने आर्थिक हितों (CPEC: चीन-पाकिस्तान गलियारा) के सामने चीन किसी चीज़ को कोई महत्त्व नहीं देता। पाकिस्तान के 20 % जीडीपी पर चीन का कब्ज़ा है। अपने यहाँ के मुसलमानों को रोज़ा रखने तक की अनुमति नहीं देता। मस्जिद में नमाज़ प्रतिबंधित है। फिर भी पाकिस्तान से भीषण दोस्ती है।  CPEC के मार्फ़त चीन पूरे पश्चिन एशिया, यूरोप, दक्षिण एशिया और अफ्रीका को सस्ते माल से पाट देगा। इधर लालबुझक्करों के हाथ में कंगाली की किरांति और गंगा-जमुनी तहजीब बचेगी!
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आज के उदारीकरण और वैश्वीकरण के दौर में एकतरफा व्यापारिक समझौते रद्द करने के अपने नुकसान भी हैं। सबसे आसान है कि व्यापारी और ग्राहक चीनी उत्पादों का बहिष्कार कर दें। लेकिन इसके लिए हमें वो करना होगा जो 1945 के बाद जापान के लोगों ने किया: विदेशी उत्पादों का सड़क पर विरोध करने के बजाये उन्हें मन से निकाल दिया।
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क्या हम भारतीय भी व्यापारी और ग्राहक से पहले नागरिक होने की क़ुव्वत रखते हैं?
2।10।16

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