बहुत ही आसान है यह कहना कि देश की सभी बुराइयों की जड़ में नेता हैं।
नेता तो फिर भी पाँच साल में अपना हिसाब देते हैं पर ये नौकरशाह और बुद्धिजीवी क्या करते हैं? नेताओं के मानस को बनानेवाले प्रोफेसर क्या करते हैं, ये किसको हिसाब देते हैं? उच्च शिक्षा से बड़ा कोढ़ इस देश में कुछ हो तो बताइये।
और तो और, हिसाब लेनेवाली यह 'जनता-जनार्दन' क्या करती है?
नेता तो फिर भी पाँच साल में अपना हिसाब देते हैं पर ये नौकरशाह और बुद्धिजीवी क्या करते हैं? नेताओं के मानस को बनानेवाले प्रोफेसर क्या करते हैं, ये किसको हिसाब देते हैं? उच्च शिक्षा से बड़ा कोढ़ इस देश में कुछ हो तो बताइये।
और तो और, हिसाब लेनेवाली यह 'जनता-जनार्दन' क्या करती है?
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