Wednesday, December 21, 2016

किसी ख़ान ने कहा: मेरा नाम ख़ान है ('और मैं आतंकवादी नहीं हूँ ')

किसी ख़ान ने कहा:
मेरा नाम ख़ान है ('और मैं आतंकवादी नहीं हूँ ')।
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आज तक किसी हिन्दू या सिख-ईसाई -बौद्ध -जैन को यह कहने की नौबत क्यों नहीं आई?
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उधर गोनू ओझा पिंगिया रहे हैं:
किसी को कहते सुना कि 'मेरा नाम राम है और मैं आतंकवादी नहीं हूँ'?
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सारे मुसलमान आतंकवादी नहीं होते लेकिन सारे आतंकवादी मुसलमान निकल जाते हैं, इसका मतलब यह थोड़े न है कि इस्लाम का हिंसा से कोई संबंध है? ना बाबा ना, अयोध्या, मथुरा, काशी सब जगह हिन्दुओं ने झंझट फँसा रखा है नहीं तो अब तक वहाँ मस्जिदें होतीं और इस्लाम की ताक़त नुमाया होती।चारों तरफ शांति के मजहब का राज होता जैसे भारत में कश्मीर में, पड़ोसी देशों पाकिस्तान और बाँग्लादेश में।
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खैर जबतक यह सब नहीं होता जबतक के लिए तो  इस्लामी सूझबूझ का परिचय दिया ही है सिने किंग ख़ान ने...
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लेकिन गोनू ओझा कहते हैं कि  'चोर की दाढ़ी में तिनका'।
लगता है कुछ ज्यादा ही बूटी चढ़ा लिहिन हैं जो उलूल-जुलूल बोले जा रहे हैं...

(साल भर पहले इसी दिन इसी वाल पर।)
7.12.15
Reposted: 7.12.16 (संवर्द्धित)

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