धर्म और मजहब एक नहीं होता। इसे एक मानने वाले इतने बड़े मानसिक ग़ुलाम हैं कि खुद को अभी भी यूरोप की आँख से देखते हैं और फिर भी अपने को आज़ाद -ख़याल मानते हैं। क्या गाँधी कभी धर्म के खिलाफ थे? धर्म का उल्टा अधर्म होता है यानी अनैतिक, असामाजिक और अकर्तव्य। अंग्रेजी, अरबी में इसका कोई समानार्थी नहीं है।
4.11.16
4.11.16
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