Thursday, December 8, 2016

कालाधन पर हमला एक धर्मयुद्ध है

कालाधन पर हमला एक धर्मयुद्ध है। या तो आप बिना शर्त इसके साथ हैं या विरोधी हैं, तटस्थ नहीं   रह सकते। ज्यादातर अखबार-टीवी चैनल और राजनैतिक दल इसके खिलाफ हैं क्योंकि उनका अस्तित्व ही कालेधन पर टिका है।

अमेरिकी राष्ट्रपति के चुनाव में जैसे वहाँ का मीडिया निर्लज्जतापूर्वक अमेरिकी राष्ट्रीयता और राष्ट्रहित  के खिलाफ था वैसे ही भारत का मीडिया भी है।

जिस पेट्रो डॉलर (कालाधन) ने अमेरिका में अपना कमाल दिखाया वह भारत में भी अपने भाई-बन्दों (वोटबैंक की राजनीति और सेकुलर-जिहाद को सींचनेवाले नकली नोट और कालाधन) के साथ सक्रिय है। माया-ममता-लालू-मुलायम-केजरीवाल-पप्पू गाँधी तो बस उसके इंसानी सेकुलर मुखौटे हैं।
17.11.16

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