काफ़िरों की दृष्टि से इस्लामी इतिहास की कोई किताब देखी-सुनी-पढ़ी है?
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काफ़िरों के बिना दारुलहरब, जज़िया, काफ़िर-वाजिबुल-क़त्ल, जिहाद , ग़ज़वा-इ-हिन्द और ज़न्नत असंभव हैं।ऐसे में काफ़िरों की दृष्टि से इस्लामी इतिहास और कुछ नहीं बल्कि Subaltern History, History from Below या वंचितों की निगाह से इतिहास-लेखन है।
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तैमूर, औरंगज़ेब, क़ासिम, चंगेज़ आदि पर जो नया विमर्श है वह काफ़िर पीड़ितों के वारिसों द्वारा इस्लामी उत्पीड़कों के इतिहास को लिखने का जन-प्रयास है। यह एक जनान्दोलन है जो इस बात का प्रमाण है कि इतिहास को 'इतिहासकारों' के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता। यही अंतर है विज्ञान और इतिहास में।
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क्या कॉमरेड, आपकी क्या राय है?
कॉमरेड कहते हैं कि अबतक का इतिहास शेर को मारने वाले शिकारी की दृष्टि से लिखा गया है, अब उसे Subaltern दृष्टि यानी धोखे से मारे गए शेर की दृष्टि से लिखने का समय है। कॉमरेड जी, काफ़िर तो जज़िया देते थे, करोड़ों की संख्या में नरसंहार, बलात्कार और घोर अपमान (माल-असबाब की तरह रखे और बेंचे गए) का शिकार हुए। वंचित होने के लिये क्या चाहिए? थोड़ा उनकी दृष्टि से भी देख लीजिए, दो-चार साल तो लोग आपपर विश्वास कर लेंगे। इससे भी बड़ी बात यह कि आपको भी अपने पाप धोने का मौका मिल जाएगा अगर आप पाप-पुण्य को मानते हों!
#काफ़िर #इस्लामी_इतिहास #काफ़िरों_का_इतिहास
27.12.16
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काफ़िरों के बिना दारुलहरब, जज़िया, काफ़िर-वाजिबुल-क़त्ल, जिहाद , ग़ज़वा-इ-हिन्द और ज़न्नत असंभव हैं।ऐसे में काफ़िरों की दृष्टि से इस्लामी इतिहास और कुछ नहीं बल्कि Subaltern History, History from Below या वंचितों की निगाह से इतिहास-लेखन है।
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तैमूर, औरंगज़ेब, क़ासिम, चंगेज़ आदि पर जो नया विमर्श है वह काफ़िर पीड़ितों के वारिसों द्वारा इस्लामी उत्पीड़कों के इतिहास को लिखने का जन-प्रयास है। यह एक जनान्दोलन है जो इस बात का प्रमाण है कि इतिहास को 'इतिहासकारों' के भरोसे नहीं छोड़ा जा सकता। यही अंतर है विज्ञान और इतिहास में।
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क्या कॉमरेड, आपकी क्या राय है?
कॉमरेड कहते हैं कि अबतक का इतिहास शेर को मारने वाले शिकारी की दृष्टि से लिखा गया है, अब उसे Subaltern दृष्टि यानी धोखे से मारे गए शेर की दृष्टि से लिखने का समय है। कॉमरेड जी, काफ़िर तो जज़िया देते थे, करोड़ों की संख्या में नरसंहार, बलात्कार और घोर अपमान (माल-असबाब की तरह रखे और बेंचे गए) का शिकार हुए। वंचित होने के लिये क्या चाहिए? थोड़ा उनकी दृष्टि से भी देख लीजिए, दो-चार साल तो लोग आपपर विश्वास कर लेंगे। इससे भी बड़ी बात यह कि आपको भी अपने पाप धोने का मौका मिल जाएगा अगर आप पाप-पुण्य को मानते हों!
#काफ़िर #इस्लामी_इतिहास #काफ़िरों_का_इतिहास
27.12.16
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