14.11.16
विचारधाराओं के कानफाड़ू शोर में जो देशराग दब सा गया था वह अब नोटबंदी की युगलबंदी से साफ़-साफ़ सुनाई दे रहा है...
देशराग का आनंद लेना है तो बैंक चले जाइये और विचारधाराओं के लिए टीवी-अख़बार ही काफ़ी हैं...
विचारधाराओं के कानफाड़ू शोर में जो देशराग दब सा गया था वह अब नोटबंदी की युगलबंदी से साफ़-साफ़ सुनाई दे रहा है...
देशराग का आनंद लेना है तो बैंक चले जाइये और विचारधाराओं के लिए टीवी-अख़बार ही काफ़ी हैं...
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