इस दिवाली इक दीया हिम्मत का भी जलायें
रौशनी में जिसकी सेकुलर दीमक जल जाएँ।
नज़ीर अकबराबादी के कदमों में बिछ जाएँ
हाली-इक़बाल को रास्ता बाहर का दिखायें।
30.10.16
रौशनी में जिसकी सेकुलर दीमक जल जाएँ।
नज़ीर अकबराबादी के कदमों में बिछ जाएँ
हाली-इक़बाल को रास्ता बाहर का दिखायें।
30.10.16
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