मुसलमान-नेतृत्व और सेकुलरों का यही हाल रहा तो हिन्दुओं का एक मजबूत हिस्सा इस्लामी-अति वामपंथी कट्टरता की फोटो काॅपी बन जाएगा । इसमें बमुश्किल दस साल लगेंगे । और तब लोगों को आरएसएस एक बहुत ही उदार साँस्कृतिक संगठन लगने लगेगा।
क्या करें, इस पर खुशी मनाएँ या सर पीटें?
क्या करें, इस पर खुशी मनाएँ या सर पीटें?
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