भारत के पढ़े-लिखे लोग बुद्धियुक्त हैं लेकिन बौद्धिकता से कोसों दूर।वे बौद्धिक-बाँझपन के शिकार हैं।
आज इस देश को बुद्धिवीर-बुद्धिवीराँगनाओं की जरूरत है जबकि बाजार में बुद्धिविलासी और बुद्धिविरोधियों की भरमार है।
आज इस देश को बुद्धिवीर-बुद्धिवीराँगनाओं की जरूरत है जबकि बाजार में बुद्धिविलासी और बुद्धिविरोधियों की भरमार है।
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