आज (22-23 .5.2016) शबेबारात है
अपने पूर्वजों को याद करने की रात
उनको कृतज्ञता-ज्ञापन करने की रात...
नमाज़ पढ़ने के लिए जल्दी के बावजूद मेरे मित्र नाज़ साहेब ने मेरे बाल काटे तो मेरा मन भर आया...उनके सैलून में ही बाल कटवाते वक्त मैंने भी अपने पूर्वजों खासकर बाबूजी को बहुत याद किया...यह सोचकर कि कृतज्ञता-ज्ञापन तो वर्तमान पीढ़ी का धर्म है अपने पितरों के प्रति...
अपने पूर्वजों को याद करने की रात
उनको कृतज्ञता-ज्ञापन करने की रात...
नमाज़ पढ़ने के लिए जल्दी के बावजूद मेरे मित्र नाज़ साहेब ने मेरे बाल काटे तो मेरा मन भर आया...उनके सैलून में ही बाल कटवाते वक्त मैंने भी अपने पूर्वजों खासकर बाबूजी को बहुत याद किया...यह सोचकर कि कृतज्ञता-ज्ञापन तो वर्तमान पीढ़ी का धर्म है अपने पितरों के प्रति...
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