हिन्दुस्तानी मन की स्थिति उस मरीज की तरह है जिसके आत्मविश्वास को उसके गाँव-घर के लोगों ने यह कह-कहकर ध्वस्त कर दिया है कि तुम हमेशा बीमार क्यों दिखते हो?
लेकिन बुद्धिजीवि लोग इसका ईलाज आर्थिक समृद्धि में ढूँढ रहे हैं।
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इन केचुओं को कौन समझाये कि मुगल साम्राज्य के पतन के दौरान भी इस देश की आय दुनिया की आय का एक चौथाई थी। यानी हमारी आर्थिक समृद्धि के बावजूद अंग्रेज़ों ने भारत को गुलाम बनाया था।
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इतना ही नहीं, इस्लामी शासन शुरू होने के पहले तो यह आय दुनिया की आय का 35 प्रतिशत थी। मतलब गुलामी का पहला दौर भी आर्थिक समृद्धि के बावजूद शुरू हुआ था।
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सरकार के फोरेन-रिटर्न्ड सलाहकारों से ज्यादा अच्छी समझ कहीं मेरे मोहल्ले के रिक्शावाले की तो नहीं जो कहता हैः
चोर चिन्हेऽ भलमानुस के बेटाऽ?
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