Thursday, June 2, 2016

शाँतिदूत बलात्कार नहीं करते बल्कि किताबी हुक्म पर अमल करते हैं...

शाँतिदूत बलात्कार नहीं करते बल्कि किताबी हुक्म पर अमल करते हैं...
शाँतिदूत बलात्कार नहीं करते बल्कि किताबी हुक्म पर अमल करते हैं, यह बात यूरोप की पुलिस और मीडिया को वहाँ के सभ्य देशों की सरकारों ने अनऑफिशियली समझा दिया है।
*
वो क्या है कि सीरियाई शाँतिदूतों को यूरोप में एडजस्ट होने में थोड़ा टाइम तो लगेगा न। अबतक जो वे करते आए हैं और क़यामत के बाद जो उन्हें 72-हूरों वाली ज़न्नत मिलनी है, उसकी तैयारी भी तो कोई चीज है! यूरोप में मजबूरी में गए हैं इसका मतलब यह तो नहीं कि दीन-ईमान की बातें छोड़ देंगे?
*
असल में आज से पाँच सौ साल पहले अमेरिका में आज के यूरोपीय ईसाइयों के पूर्वजों ने वही सब किया है जिसका ट्रेलर सीरियाई शरणार्थी उन्हें दिखा रहे हैं।फिर क्रूसेड के दौरान सैकड़ों बरसों तक यूरोप के ईसाइयों और अरब-पश्चिम एशिया के शाँतिदूतों ने एक-दूसरे के साथ जो किया उसके बाद या तो चिंपांजी हुआ जा सकता है या सभ्य मनुष्य।
*
बहरहाल, आज की यूरोपीय महिलाओं का क्या दोष जो उन्हें उनकी सरकारें 'शरणार्थियों' के सामने 'नरम चारा' की तरह पेश कर रही हैं?
*
वे गोरी चमरी वाले हैं , किताब वाले हैं, ईश्वर-पुत्र या अल्लाह वाले हैं, सभ्य हैं, विकसित हैं-वे कुछ भी कर सकते हैं।हमलोग जाहिल मूर्तिपूजक जो ठहरे!
*
लेकिन हमारे यहाँ भी जो बिहार-बंगाल-केरल-उत्तम प्रदेश की सेकुलर सरकारें हैं, वे भी किसी से कम नहीं हैं।वे बलात्कार बर्दाश्त कर लेंगी, हत्या-नरसंहार बर्दाश्त कर लेंगी, चोरी-डकैती-लूट और घोटाला क्या महा घोटाला भी बर्दाश्त कर लेंगी लेकिन शाँतिदूतों के बारे में ऐसा झूठ-सच कुछ भी बर्दाश्त नहीं करेंगी जो वोट को काटती हों।इसे कहते हैं चुनौतियों की आग से कुंदन की तरह तप कर निकला सेकुलर लोकतंत्र!

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home