Thursday, June 2, 2016

मेरा बाप शूद्र और मैं ब्राह्मण तो मेरा बेटा क्या होगा?

मेरा बाप शूद्र और मैं ब्राह्मण तो मेरा बेटा क्या होगा?
डा Tribhuwan Singh और डा Surendra Solanki की पोस्टों को पढ़के पता चला है कि कम-से-कम पाँच पीढ़ियों से मुझे छोड़ मेरे परिवार में लगभग सभी शूद्र रहे हैं।
तो मैं क्या हूँ? उत्तर है 'ब्राह्मण' क्योंकि मैं शिक्षक हूँ।
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बाकी लोग क्या रहे थे और हैं? उत्तर है किसान या वैद्य या दोनों, इसलिए शूद्र हैं।
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अब समझ में आया कि मेरा बाप क्यों मेरी पढ़ाई-लिखाई में विशेष रुचि को लेकर आजीवन खफा रहा।भई, परिवार की शूद्र 'जात' को त्याग मैं 'ब्राह्मण' होने की राह पर जो निकल पड़ा था!
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1976 में मुझे राष्ट्रीय ग्रामीण मेधा छात्रवृत्ति मिली तो पूरे इलाके में हल्ला, स्कूल में खुशी पर मेरा बाप एकदम मौनी बाबा बन गया था!
लेकिन आज चालीस साल बाद अपने बाप के दु:खों का राज जानने के बाद बाबूजी के प्रति मेरा प्यार और सम्मान बाँधे नहीं बँध रहा।
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बाबूजी, मैं आपको विश्वास दिलाना चाहता हूँ कि जैसे आपने अपने शूद्र-कर्म में कभी कोताही नहीं की वैसे ही मैंने अपने ब्राह्मण-कर्म को पूरे मनोयोग से किया है।जैसे आपको अपने शूद्र-कर्म पर गर्व था वैसे ही मुझे आपके शूद्र-कर्म और अपने ब्राह्मण-कर्म पर गर्व है।साथ ही मैं आपको आश्वस्त करना चाहता हूँ कि मैं अपनी किसी संतान द्वारा पारंपरिक शूद्र-कर्म अपनाने की राह में कभी रोड़ा नहीं बनूँगा।

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