फ्री सेक्स माने क्या? किससे फ्री, कब से फ्री, कबतक फ्री, कहाँ से फ्री...
फ्री सेक्स माने क्या? किससे फ्री, कब से फ्री, कबतक फ्री, कहाँ से फ्री...
भारत में तो मंदिरों की दीवारों पर भी यौन-क्रियाओं को योगासन की भाँति चित्रित किया गया है।दुनिया का पहला यौनशास्त्र महर्षि वात्स्यायन ने लिखा।इससे यौन-क्रिया की प्रतिष्ठा और उसके गहरे ज्ञान का अंदाजा लगता है।
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देवी-देवताओं की मूर्तियाँ भी इसका प्रमाण हैं जो अनावश्यक वस्त्रों से युक्त नहीं होतीं।इसी का एक्सटेंशन है कोख पर नारी या माता का अधिकार।
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सवाल उठता है कि किन परिस्थितियों में और कब से भारत में नारी 'सेकंड सेक्स'
बनी? कुछ हिस्सों में पति की मौत पर जौहर करने लगी तो कुछ अन्य हिस्सों में पति की चिंता पर जलायी जाने लगी और यहाँ तक कि बाजार में खरीद-बिक्री का सामान बन गई?
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जिस समाज में सीताराम-राधेश्याम-गौरीशंकर-अंजनीपुत्र कहने की परंपरा हो वहाँ इतनी क्रूरता निश्चय ही कुछ विकट परिस्थितियों में और बाहरी दबाव में जन्मी होगी।इसलिए हिन्दू समाज में नारी के संवैधानिक अधिकारों का वैसा विरोध नहीं है जैसा मुस्लिम समाज में शाहबानों या तीन तलाक मामले में दिखता है।
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इसी संदर्भ में इस बात की भी पड़ताल होनी चाहिए कि वामपंथी नेता कविता कृष्णन के 'फ्री सेक्स' पर बयान के क्या निहितार्थ हैं।
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'फ्री' का मतलब क्या है?
किससे फ्री?
परिवार से, लाज -लिहाज से, समाज से, घर-मकान से, शादी के बंधन से...
एक या कुछेक तक सीमित रहने से, धन या बिना धन के आदान-प्रदान के जब जिससे हो जाए मन से या जबरदस्ती...
प्रजनन की जिम्मेदारी से, प्रजनन हो भी तो बाल-बच्चे पालने से...
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सिर्फ एक बात की तरफ ध्यान दिलाना जरूरी है कि युवाओं की आबादी के प्रतिशत को
बढ़ाने का तर्क देकर यूरोपीय सरकारें सीरियाई शरणार्थियों द्वारा बलात्कार को भी माला की तरह पहनने को राजी हैं।मीडिया और पुलिस दोनों को 'गो साॅफ्ट ऑन रेप बाई मुस्लिम माइग्रेंट्स' का अनऑफिशल आदेश मिला हुआ है।
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