Thursday, August 25, 2016

जाति पर दुष्प्रचार के लिए ब्राह्मण-बनिया गठजोड़ भी दोषी

जाति को लेकर पढ़ेलिखे लोगों में जोे धुंध,शर्म या घृणा और क्रोध  है उसके लिए अकेले डॉ बाबा साहेब अम्बेडकर के अज्ञान और बदले की भावना को दोष देना या तो धूर्तता है या मूर्खता। इसके लिए अम्बेडकर से भी ज्यादा जिम्मेदार है पारम्परिक बौद्धिक वर्ग जो प्रचण्ड आत्महंता दम्भ और कायरता की प्रतिमूर्ति था और जिसे यहाँ के परम्परागत समृद्ध समुदायों से पूरा समर्थन था।

ब्राह्मण के दम्भ और कायरता से बनिये का धंधा समृद्ध होता था। विश्वास न हो तो किसी भी राजनैतिक दल का इतिहास पलट लीजिये। भला हो चीनी माल का जिसने पहली बार  ब्राह्मणों पर बनिया-विश्वास को डिगा कर रख दिया है। कायरता यहाँ भी अपना रँग दिखायेगी, मानेगी नहीं।

पिछले 250 सालों में अखिल भारतीय स्तर पर गाँधी-तिलक को छोड़ उन पारम्परिक बौद्धिकों के नाम गिनायिये जिन्होंने शंकराचार्य की तरह समसामयिक मुद्दों पर पूरे देश के साथ भारतीय दृष्टि से रणनीतिक विमर्श किया हो। आज की क्या स्थिति है? उत्तरप्रदेश विधानसभा चुनाव (2017) में काँग्रेस का शीला दीक्षित को उतारना क्या दर्शाता है?
गोविंदाचार्य, उमा भारती, कल्याण सिंह और शंकरसिंह वाघेला के साथ जो भाजपा में हुआ था वो क्या था?

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