Thursday, December 15, 2016

सरस्वती की तरह नोटबंदी-विरोध का जनसमर्थन भी अदृश्य

जैसे सरस्वती नदी अदृश्य है लेकिन उसके बिना प्रयाग की त्रिवेणी अधूरी है वैसे ही नोटबंदी -विरोध का जनसमर्थन भी अदृश्य है पर जिसके बिना सेकुलर-भारत की परिकल्पना अधूरी है। इसलिए जनहित में नोटबंदी के खिलाफ राष्ट्रपति से मिलने गये केजरीवाल-ममता बनर्जी-उमर अब्दुल्ला के साथ भले ही जनता नहीं दिखी हो लेकिन इससे यह अर्थ न लगाया जाए कि उन्हें जनसमर्थन नहीं है।

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