हमें बिना प्रसवपीड़ा के माँ बनना है
हमें बिना प्रसवपीड़ा के माँ बनना है
बिना संघर्ष के आज़ादी पानी है
बिना मेहनत के मजदूरी लेनी है
बिना कर्त्तव्य के अधिकार पाने हैं
और बिना कुछ दिये सबकुछ पाना है
क्योंकि
पिछले हजार सालों से हम उपभोक्ता हैं,
नागरिक नहीं।
■
हमने पृथ्वीराज चौहान, कबीर, दादू, रविदास , राणा प्रताप, शिवाजी, गुरुगोविंद सिंह, रानी लक्ष्मीबाई, कुँवर सिंह, तात्या टोपे, नाना साहेब, भगत सिंह, आज़ाद, नेताजी सुभाषचंद्र बोस या गाँधी किसको छोड़ा कि मोदी को छोड़ेंगे?
वे लोग बेवकूफ थे जो सर पर कफन बाँध अपना घर फूँक कर देश को बचाने चले थे, हम वैसे नहीं हैं।
■
हम तो नरसंहारी जमातों से पूछते हैं:
हत्या करते वक़्त आपको कोई दिक्कत तो नहीं हुई?
बलात्कारी गिरोहों से पूछते हैं:
बलात्कार करते वक़्त हमारी वजह से आपको कोई असुविधा तो नहीं हुई?
हमें अपमानित करनेवालों से हम पूछते हैं:
हमारी कोई बात आपको बुरी तो नहीं लगी?
■
देखिये, हम भारत के बुद्धिजीवी, राजनीतिज्ञ और जनता हैं जो अहिंसा के पुजारी हैं; कहा भी गया है कि अहिंसा परमधर्म है और अहिंसा के भगवान महात्मा बुद्ध यहीं के थे।
नोट: आपको बताते चलें कि राम-रावण युद्ध, महाभारत, कृष्ण का कर्मयोग वगैरह अब सिर्फ कथा-कहानी हैं जो विरासत का हिस्सा भर हैं। हमें कैसा देश बनाना है इसका परिचय हमने काँग्रेस को नेहरू वंश के हाथों सौंप कर दे दिया है।जयहिन्द!
बिना संघर्ष के आज़ादी पानी है
बिना मेहनत के मजदूरी लेनी है
बिना कर्त्तव्य के अधिकार पाने हैं
और बिना कुछ दिये सबकुछ पाना है
क्योंकि
पिछले हजार सालों से हम उपभोक्ता हैं,
नागरिक नहीं।
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हमने पृथ्वीराज चौहान, कबीर, दादू, रविदास , राणा प्रताप, शिवाजी, गुरुगोविंद सिंह, रानी लक्ष्मीबाई, कुँवर सिंह, तात्या टोपे, नाना साहेब, भगत सिंह, आज़ाद, नेताजी सुभाषचंद्र बोस या गाँधी किसको छोड़ा कि मोदी को छोड़ेंगे?
वे लोग बेवकूफ थे जो सर पर कफन बाँध अपना घर फूँक कर देश को बचाने चले थे, हम वैसे नहीं हैं।
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हम तो नरसंहारी जमातों से पूछते हैं:
हत्या करते वक़्त आपको कोई दिक्कत तो नहीं हुई?
बलात्कारी गिरोहों से पूछते हैं:
बलात्कार करते वक़्त हमारी वजह से आपको कोई असुविधा तो नहीं हुई?
हमें अपमानित करनेवालों से हम पूछते हैं:
हमारी कोई बात आपको बुरी तो नहीं लगी?
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देखिये, हम भारत के बुद्धिजीवी, राजनीतिज्ञ और जनता हैं जो अहिंसा के पुजारी हैं; कहा भी गया है कि अहिंसा परमधर्म है और अहिंसा के भगवान महात्मा बुद्ध यहीं के थे।
नोट: आपको बताते चलें कि राम-रावण युद्ध, महाभारत, कृष्ण का कर्मयोग वगैरह अब सिर्फ कथा-कहानी हैं जो विरासत का हिस्सा भर हैं। हमें कैसा देश बनाना है इसका परिचय हमने काँग्रेस को नेहरू वंश के हाथों सौंप कर दे दिया है।जयहिन्द!
17.11.16
बिना संघर्ष के आज़ादी पानी है
बिना मेहनत के मजदूरी लेनी है
बिना कर्त्तव्य के अधिकार पाने हैं
और बिना कुछ दिये सबकुछ पाना है
क्योंकि
पिछले हजार सालों से हम उपभोक्ता हैं,
नागरिक नहीं।
■
हमने पृथ्वीराज चौहान, कबीर, दादू, रविदास , राणा प्रताप, शिवाजी, गुरुगोविंद सिंह, रानी लक्ष्मीबाई, कुँवर सिंह, तात्या टोपे, नाना साहेब, भगत सिंह, आज़ाद, नेताजी सुभाषचंद्र बोस या गाँधी किसको छोड़ा कि मोदी को छोड़ेंगे?
वे लोग बेवकूफ थे जो सर पर कफन बाँध अपना घर फूँक कर देश को बचाने चले थे, हम वैसे नहीं हैं।
■
हम तो नरसंहारी जमातों से पूछते हैं:
हत्या करते वक़्त आपको कोई दिक्कत तो नहीं हुई?
बलात्कारी गिरोहों से पूछते हैं:
बलात्कार करते वक़्त हमारी वजह से आपको कोई असुविधा तो नहीं हुई?
हमें अपमानित करनेवालों से हम पूछते हैं:
हमारी कोई बात आपको बुरी तो नहीं लगी?
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देखिये, हम भारत के बुद्धिजीवी, राजनीतिज्ञ और जनता हैं जो अहिंसा के पुजारी हैं; कहा भी गया है कि अहिंसा परमधर्म है और अहिंसा के भगवान महात्मा बुद्ध यहीं के थे।
नोट: आपको बताते चलें कि राम-रावण युद्ध, महाभारत, कृष्ण का कर्मयोग वगैरह अब सिर्फ कथा-कहानी हैं जो विरासत का हिस्सा भर हैं। हमें कैसा देश बनाना है इसका परिचय हमने काँग्रेस को नेहरू वंश के हाथों सौंप कर दे दिया है।जयहिन्द!
बिना संघर्ष के आज़ादी पानी है
बिना मेहनत के मजदूरी लेनी है
बिना कर्त्तव्य के अधिकार पाने हैं
और बिना कुछ दिये सबकुछ पाना है
क्योंकि
पिछले हजार सालों से हम उपभोक्ता हैं,
नागरिक नहीं।
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हमने पृथ्वीराज चौहान, कबीर, दादू, रविदास , राणा प्रताप, शिवाजी, गुरुगोविंद सिंह, रानी लक्ष्मीबाई, कुँवर सिंह, तात्या टोपे, नाना साहेब, भगत सिंह, आज़ाद, नेताजी सुभाषचंद्र बोस या गाँधी किसको छोड़ा कि मोदी को छोड़ेंगे?
वे लोग बेवकूफ थे जो सर पर कफन बाँध अपना घर फूँक कर देश को बचाने चले थे, हम वैसे नहीं हैं।
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हम तो नरसंहारी जमातों से पूछते हैं:
हत्या करते वक़्त आपको कोई दिक्कत तो नहीं हुई?
बलात्कारी गिरोहों से पूछते हैं:
बलात्कार करते वक़्त हमारी वजह से आपको कोई असुविधा तो नहीं हुई?
हमें अपमानित करनेवालों से हम पूछते हैं:
हमारी कोई बात आपको बुरी तो नहीं लगी?
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देखिये, हम भारत के बुद्धिजीवी, राजनीतिज्ञ और जनता हैं जो अहिंसा के पुजारी हैं; कहा भी गया है कि अहिंसा परमधर्म है और अहिंसा के भगवान महात्मा बुद्ध यहीं के थे।
नोट: आपको बताते चलें कि राम-रावण युद्ध, महाभारत, कृष्ण का कर्मयोग वगैरह अब सिर्फ कथा-कहानी हैं जो विरासत का हिस्सा भर हैं। हमें कैसा देश बनाना है इसका परिचय हमने काँग्रेस को नेहरू वंश के हाथों सौंप कर दे दिया है।जयहिन्द!
17.11.16
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