सच का डर और डरने की रणनीति
सच का डर और डरने की रणनीति
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किसी ने लिखा है कि नोटबंदी के खिलाफ बोलते डर लगता है। एकदम सही है और डर क्यों नहीं लगना चाहिए?
इस देश के पढ़ेलिखे लोगों को गर्व से खुद को:...
हिन्दू कहने में डर लगता था, किसके कारण?
हिंदुस्तानी कहने में डर लगता था, किसके कारण?
राष्ट्रवादी कहने में डर लगता था, किसके कारण?
देशभक्त कहने में डर लगता, किसके कारण?
■
जिन लोगों के कारण एक औसत पढ़ालिखा हिन्दुस्तानी:
आत्मघृणा के लिये मजबूर था,
देश पर गर्व के बजाय शर्म करने के लिये मजबूर था,
कहीं वही अपराधबोध से ग्रस्त लोग नोटबंदी का विरोध करने से तो नहीं डर रहे?
■
असल में वे डर नहीं रहे, घबराये हुए हैं
क्योंकि उनकी कलई खुल गई है;
क्योंकि 70 सालों तक हर विरोधी आवाज़ की उन्होंने 'कम्युनल' कहकर खिल्ली उड़ाई थी;
क्योंकि हर देसी दृष्टिसम्पन्न स्वर को उन्होंने प्रतिक्रियावादी कहकर ख़ारिज कर दिया था;
क्योंकि इनके लिए 'योग' का धर्म है पर आतंकवाद का नहीं;
क्योंकि ये हिन्दू-जैन-बौद्ध-सिख की मौत को सेकुलर मानते हैं और मुस्लिम-ईसाई की मौत को कम्युनल;
क्योंकि दिल्ली दंगा-गोधरा नरसंहार इनको सेकुलर लगते हैं और गुजरात दंगा कम्युनल;
क्योंकि लज्जा-सैटेनिक वर्सेज इन्हें कम्युनल लगते हैं और सरस्वती की निर्वस्त्र तस्वीर सेकुलर; और
आज अपराध इन्हें सेकुलर लगता है पर अपराध का विरोध कम्युनल ...
19.11.16
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किसी ने लिखा है कि नोटबंदी के खिलाफ बोलते डर लगता है। एकदम सही है और डर क्यों नहीं लगना चाहिए?
इस देश के पढ़ेलिखे लोगों को गर्व से खुद को:...
हिन्दू कहने में डर लगता था, किसके कारण?
हिंदुस्तानी कहने में डर लगता था, किसके कारण?
राष्ट्रवादी कहने में डर लगता था, किसके कारण?
देशभक्त कहने में डर लगता, किसके कारण?
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जिन लोगों के कारण एक औसत पढ़ालिखा हिन्दुस्तानी:
आत्मघृणा के लिये मजबूर था,
देश पर गर्व के बजाय शर्म करने के लिये मजबूर था,
कहीं वही अपराधबोध से ग्रस्त लोग नोटबंदी का विरोध करने से तो नहीं डर रहे?
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असल में वे डर नहीं रहे, घबराये हुए हैं
क्योंकि उनकी कलई खुल गई है;
क्योंकि 70 सालों तक हर विरोधी आवाज़ की उन्होंने 'कम्युनल' कहकर खिल्ली उड़ाई थी;
क्योंकि हर देसी दृष्टिसम्पन्न स्वर को उन्होंने प्रतिक्रियावादी कहकर ख़ारिज कर दिया था;
क्योंकि इनके लिए 'योग' का धर्म है पर आतंकवाद का नहीं;
क्योंकि ये हिन्दू-जैन-बौद्ध-सिख की मौत को सेकुलर मानते हैं और मुस्लिम-ईसाई की मौत को कम्युनल;
क्योंकि दिल्ली दंगा-गोधरा नरसंहार इनको सेकुलर लगते हैं और गुजरात दंगा कम्युनल;
क्योंकि लज्जा-सैटेनिक वर्सेज इन्हें कम्युनल लगते हैं और सरस्वती की निर्वस्त्र तस्वीर सेकुलर; और
आज अपराध इन्हें सेकुलर लगता है पर अपराध का विरोध कम्युनल ...
19.11.16
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