सरकार के साथ कदमताल करती जनता vs विघ्नसंतोषी विपक्ष
सरकार के साथ कदमताल करती जनता vs विघ्नसंतोषी विपक्ष
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आम तौर पर राजनीतिज्ञ ऐसा कोई फैसला नहीं लेना चाहते जिसका लाभ चुनाव से पहले न मिले और जनता ऐसे फैसले पसंद नहीं करती जिसका तात्कालिक लाभ न हो। इस वजह से नेता वोटों के ग्राहक और सत्ता के उपभोक्ता बन जाते हैं और जनता वोट बेंचने के बदले मिले तात्कालिक लाभों का उपभोक्ता। यानी जैसी प्रजा वैसा राजा।
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परन्तु नोटबंदी पर सरकार ने लीक से हटकर फैसला लिया है, ऐसा फैसला जिसका तात्कालिक लाभ न सत्ताधारी पार्टी को होना है न जनता को। जनता ...ने भी लीक से हटकर सरकारी फैसले का अप्रत्याशित समर्थन किया है। इसे कहते हैं नागरिकता बोध की प्रतिष्ठा। भारत के पिछले 70 सालों के इतिहास में अभूतपूर्व फैसला और इस अभूतपूर्व फैसले का अप्रत्याशित जनसमर्थन।
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भारत की नोटबंदी से सबसे ज्यादा परेशान है चीन और सबसे ज्यादा प्रेरित है पाकिस्तानी मीडिया। लेकिन भारत के मीडिया का नोटबंदी पर वही रुख है जो अमेरिकी चुनाव के दरम्यान ट्रम्प की इस्लामी आतंकवाद-विरोधी मुहिम के खिलाफ वहाँ के मीडिया का था। न्यूज़वीक ने तो हिलैरी क्लिंटन को विजयी भी घोषित कर दिया था! बाद में उसे अपनी सवा लाख प्रतियाँ बाजार से वापस लेनी पड़ीं।
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यह और कुछ नहीं बल्कि भारत में राष्ट्रीय नवजागरण की दस्तक है जिसकी प्रतिध्वनि अमेरिकी चुनाव में भी दिखी क्योंकि वहाँ की जनता ने राष्ट्रीय हितों से एकदम समझौता न करने का वादा करनेवाले ट्रम्प को जिताकर अपना इरादा साफ कर दिया है।
20.11.16
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आम तौर पर राजनीतिज्ञ ऐसा कोई फैसला नहीं लेना चाहते जिसका लाभ चुनाव से पहले न मिले और जनता ऐसे फैसले पसंद नहीं करती जिसका तात्कालिक लाभ न हो। इस वजह से नेता वोटों के ग्राहक और सत्ता के उपभोक्ता बन जाते हैं और जनता वोट बेंचने के बदले मिले तात्कालिक लाभों का उपभोक्ता। यानी जैसी प्रजा वैसा राजा।
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परन्तु नोटबंदी पर सरकार ने लीक से हटकर फैसला लिया है, ऐसा फैसला जिसका तात्कालिक लाभ न सत्ताधारी पार्टी को होना है न जनता को। जनता ...ने भी लीक से हटकर सरकारी फैसले का अप्रत्याशित समर्थन किया है। इसे कहते हैं नागरिकता बोध की प्रतिष्ठा। भारत के पिछले 70 सालों के इतिहास में अभूतपूर्व फैसला और इस अभूतपूर्व फैसले का अप्रत्याशित जनसमर्थन।
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भारत की नोटबंदी से सबसे ज्यादा परेशान है चीन और सबसे ज्यादा प्रेरित है पाकिस्तानी मीडिया। लेकिन भारत के मीडिया का नोटबंदी पर वही रुख है जो अमेरिकी चुनाव के दरम्यान ट्रम्प की इस्लामी आतंकवाद-विरोधी मुहिम के खिलाफ वहाँ के मीडिया का था। न्यूज़वीक ने तो हिलैरी क्लिंटन को विजयी भी घोषित कर दिया था! बाद में उसे अपनी सवा लाख प्रतियाँ बाजार से वापस लेनी पड़ीं।
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यह और कुछ नहीं बल्कि भारत में राष्ट्रीय नवजागरण की दस्तक है जिसकी प्रतिध्वनि अमेरिकी चुनाव में भी दिखी क्योंकि वहाँ की जनता ने राष्ट्रीय हितों से एकदम समझौता न करने का वादा करनेवाले ट्रम्प को जिताकर अपना इरादा साफ कर दिया है।
20.11.16
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