Thursday, December 15, 2016

नोटबंदी से ग़रीबी मिटेगी, ग़रीब नहीं

45 बरस पहले काँग्रेस ने नारा दिया था: ग़रीबी हटाओ।
तब से गरीब मिटते रहे पर ग़रीबी डटी रही।
आज नोटबंदी से ग़रीबी के मिटने और ग़रीब के अच्छे दिन आनेवाले हैं।
फ़िर भी काँग्रेस न जाने क्यों नोटबंदी का विरोध कर रही है?

बीमारी के ईलाज से मतलब है या इससे कि डॉक्टर की जाति-कुल क्या हैं और वह किस ब्राण्ड की दवा लिख रहा है?
मरीज की रुचि तो मुकम्मल ईलाज में होती है और कालेधन से त्रस्त मरीज अपने ईलाज से एकदम संतुष्ट दिख रहा है।

आप सब दवा कंपनियों के एमआर की चिल्लपों पर कान मत दीजिए।
14.11.16

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