कविता: बेबस देश लाचार नेहरू
प्रभातफेरी के बाद प्रार्थना
प्रधानाध्यापक के आशीर्वचन
फिर
सावजी की दुकान की गरमागरम जलेबी
और स्कूल से छुट्टी ।
शुभ बालदिवस!
बचपन के नारों में-
गाँधी , सुभाष और इंकलाब
भगत सिंह, राजगुरू, सुखदेव
लोहिया और जयप्रकाश थे।
सरस्वती माता, दुर्गाजी
शंकर, राम, कृष्ण
और हसन-हुसैन थे।
नेहरू जी नहीं थे।
पंडित नेहरू से
हमारा परिचय
कोर्स की किताबों ने कराया-
पहले प्रधानमंत्री,
इंदिरा गांधी के पिता,
महात्मा गांधी की आँखों के तारे,
भारत भाग्य विभाता।
कश्मीर पर पाकिस्तान
पंचशील पर चीन के धोखे
और
बाकी मामलों में
सीआईए से नाभीनाल आबद्ध
विपक्षी पार्टियों के असहयोग ने
उन्हें लाचार बना दिया।
बेटी इंदिरा को
कांग्रेस पार्टी में
घोर अनिक्षा के बावजूद लाना पड़ा।
इंदिरा गाँधी भी
ऐसे ही मजबूर हुईं
राजीव गाँधी को राजपाट देने के लिए।
त्याग का, देशभक्ति का-
ये सिलसिला चलता रहे
हम कृतज्ञ बने रहें
एक नहीं, दो नहीं
तीन जयंतियाँ हैं
इस परिवार के खाते में।
पंडित नेहरू ज़िन्दाबाद!
शुभ बाल दिवस!
[फुटनोट:
नेपाल में होता,
पाकिस्तान ईरान अफगानिस्तान में भी-
तो गांधी नामधारी नेहरू वंश
आज पुरातत्व का विषय होता।
(स्रोत-अज्ञात)]
-- चन्द्रकान्त प्रसाद सिंह
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