संता-बंता: आदत से लाचार प्रोफेसर
आदत से लाचार प्रोफेसर
संता: मेरे प्रोफेसर मित्र आजकल बहुत परेशान हैं। पहले वो सुविधानुसार वामपंथी चाहे काँग्रेसी थे।फिर सेकुलरबाज़ी की और आपियाने लगे।इधर दिल्ली में मफलरमैन की सरकार बनेगी या नहीं, इसको लेकर दुबले हुए जा रहे हैं।
बंता: क्यों, उन्हें प्रोफेसरी का वेतन मिलता है या कैंपस में राजनीति के लिए?
संता: ज्यादातर बेचारे बाबू या दारोगा बनना चाहते थे, फँस गए पढ़ाई-लिखाई के झमेले में। कुछ तो मन लायक करना पड़ता है।
बंता: वे सब 'मोदी नाम केवलम्' का जाप करें और बाबू बनने के सपने देखें। पढ़ाई-लिखाई से छुटकारा और सेकुलरबाज़ी के अराष्ट्रीय टोटके से भी मुक्ति।
संता: पर असल लाभ है कि पढ़ने-लिखने वालों को भी उनसे मुक्ति मिल जाएगी।
संता: मेरे प्रोफेसर मित्र आजकल बहुत परेशान हैं। पहले वो सुविधानुसार वामपंथी चाहे काँग्रेसी थे।फिर सेकुलरबाज़ी की और आपियाने लगे।इधर दिल्ली में मफलरमैन की सरकार बनेगी या नहीं, इसको लेकर दुबले हुए जा रहे हैं।
बंता: क्यों, उन्हें प्रोफेसरी का वेतन मिलता है या कैंपस में राजनीति के लिए?
संता: ज्यादातर बेचारे बाबू या दारोगा बनना चाहते थे, फँस गए पढ़ाई-लिखाई के झमेले में। कुछ तो मन लायक करना पड़ता है।
बंता: वे सब 'मोदी नाम केवलम्' का जाप करें और बाबू बनने के सपने देखें। पढ़ाई-लिखाई से छुटकारा और सेकुलरबाज़ी के अराष्ट्रीय टोटके से भी मुक्ति।
संता: पर असल लाभ है कि पढ़ने-लिखने वालों को भी उनसे मुक्ति मिल जाएगी।
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