Monday, February 23, 2015

बिहार में बाँटने के लिए धन बचेगा या गरीबी?



बिहार में 5 बिगहे से ज्यादा जमीन कितने लोगों के पास है और कुल कितनी है यानी कुल जमीन का कितना प्रतिशत है?

इसके बाद सोवियत संघ, लाल चीन और बंगाल का अनुभव जोड़कर एक और सवाल पूछा जा सकता है:
मनुष्य के आर्थिक व्यवहार के मद्देनजर हमारे पास बाँटने के लिए धन बचेगा या गरीबी?

आर्थिक मसलों पर वामपंथी दृष्टि पूरी दुनिया में फेल हो चुकी है । तभी तो चीन ने बाजार व्यवस्था को अपना पूरी दुनिया के सामने चुनौती पेश कर दी है।भारत के सामने इससे बड़ी मिसाल और क्या होगी? पर चीन एक अवसर भी है और चुनौती भी।

जाति को ही जाति के खिलाफ इस्तेमाल करने की लोहियाई रणनीति बिहार में अबतक तो सफल ही कही जाएगी। पर वर्तमान आर्थिक हालात नई तकनीकी की माँग करते नजर आते हैं। हालिया लोकसभा और दिल्ली समेत अन्य राज्यों के चुनाव तो यही इशारा करते लगते हैं ।

कुछ  लोग इस पर इतिहास के ज्ञान की आवश्यकता और ईमानदारी का सवाल उठा सकते हैं।

क्या इतिहास की एकमात्र वैज्ञानिक दृष्टि और ईमानदारी का समय निरपेक्ष कोई पैमाना है जो किसी 'अ' ने 'ब' को उद्धृत करते हुए 'स' को साक्षी  रख  'ड' को समर्पित कर दिया हो जो 'अ' के स्वर्ग सिधारने के 40 साल बाद डिक्लासिफाइ किया जाएगा?

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