Wednesday, September 30, 2015

इस्लाम अच्छा है तो मुसलमान क्यों आतंक का पर्याय बन गए है?

पाकिस्तानी बुद्धिवीर हसन निसार फरमाते हैं:
दुनिया में 150 करोड़ मुसलमान हैं, 50 से ज्यादा इस्लामी देश हैं, कहीं भी लोकतंत्र नहीं है, किसी अन्य मजहबवालों के साथ रह नहीं सकते,
सदियों से एक-दूसरे का गला काट रहे हैं, पूरी दुनिया में जूते खा रहे हैं...फिर भी ये मानते हैं कि हम सबसे अच्छे हैं...इन्हें तो यह तक नहीं मालूम कि इनकी असली बीमारी क्या है।

इसके बाद तो यही कहना पड़ेगा कि आसमानी किताब को शुरू से ही लोग ठीक से समझ नहीं पाए।मतलब इस्लाम तो बहुत अच्छा  है, लेकिन मुसलमान हैं जो पूरी दुनिया में आतंकवाद का पर्याय बन गए हैं।अब इसका क्या किया जाए?

अपने कश्मीर में ही देख लीजिए कि कैसे मुस्लिम -बहुल आबादी ने लाखों हिन्दुओं को वतनबदर कर दिया क्योंकि सीमापारवालों ने कहा कि इससे निज़ामेमुस्तफा आयेगा , फिर आतंकवादी लोग भी यही चाहते थे जिनकी बात अगर बहुमत मुसलमान नहीं मानते तो वे हिन्दुओं के ख़ून से घाटी को लहूलुहान कर देते, बलात्कार और लूटपाट की कौन कहे ।
अब इस्लाम तो इसकी अनुमति नहीं ही देता होगा।

पता नहीं ये तालिबान, अलक़ायदा, बोकोहरम, आईएस और न जाने क्या-क्या कैसे पैदा हो जाते हैं!

अब आप ही बताइए ऐसे  में कौन सी बड़ी बात हो गई अगर बलात्कारी  उत्तर प्रदेश की एक मस्जिद में घुस जाएँ और स्थानीय लोग  उनके समर्थन में आ जाएँ तथा गिरफ्तार करने आई पुलिस पर हमले कर घायल कर दें?

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