Sunday, September 6, 2015

मैं तो स्वयंभू 'भारत' बोल रहा हूँ...

मैं तो स्वयंभू 'भारत' बोल रहा हूँ...
हर सप्ताह एक-दो बार इलहाम होता है कि देश रूपी भगवान ने कोई पैगाम दिया है, बस वही आप तक  पास कर देता हूँ...
त्वदियंवस्तु गोविंदः तुभ्यमेव समर्पये...
लेकिन अबतक मुझे यह इलहाम नहीं हुआ है कि मेरे वचन अंतिम हैं या सिर्फ मुझे ही इलहाम होगा ।
मुझे कोई हिदायत या धमकी भरे वचन भी अबतक नहीं सुनाई पड़े हैं कि यह नहीं करोगे तो तेरा वह हो जाएगा । इसलिए शायद मुझे कोई भाव भी नहीं दे रहा ।
पर सवाल है हूल देने वास्ते मैं कोई झूठमूठ बात बोलूँ इतनी हिम्मत भी अपन में नहीं है ।

मतलब साफ है कि
मेरा वाला भगवान थोड़ा मिडिल क्लास टाइप का और ठीकठाक
पढ़ालिखा लगता है । कभी-कभी वो किताबों के नाम भी बताता है लेकिन वे हमेशा ठीक से याद नहीं रहते।

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