Wednesday, November 18, 2015

अलविदा अशोक सिंघल: सेकुलर झूठ के सच को बेनकाब करनेवाला योद्धा

जब #सोशल_मीडिया नहीं था तब करोड़ों ' #असहिष्णु  ' #बेजुबान और #आहत_हिन्दुओं के #मन_की_बात कहनेवाले श्री #अशोक_सिंघल को भावभीनी #श्रद्धांजलि।
#सामाजिक_समरसता_के_हीरो रहे हैं वे लेकिन यह समझने के लिए #अख़लाक़_सिंड्राॅम से बाहर आकर #टेक्नोलाॅजी, #मनोविज्ञान और #इतिहास तीनों के #संगम पर हिम्मत के साथ #मानसिक_गुलामी का परित्याग कर खड़ा होना होगा।

जो लोग #सेकुलर_मार्का प्रेम-सद्भाव की बात करते हैं वे #मैग्गी_फटाफट_राजनीति करते हुए समस्याओं के
#सुषुप्त_ज्वालामुखी से #शुतुरमुर्ग की तरह नजर चुराते हैं।असली संबंध तो आपसी विश्वास से बनता है जो #सच,  भले ही वह #अप्रिय हो, को दोटूक सामने रखकर ही बनता है।इसे छिपाने से #मन_में_दंगे पहले होते हैं और #जमीन_पर_दंगे बाद में ।
श्री #अशोक_सिंघल ने #बहुमत_हिन्दुओं के मन में चल रहे इसी #दंगे_को_वाणी देकर उसकी विनाश क्षमता को बहुत कमजोर कर दिया।यही #योगदान है उनका।

पिछले दिनों #असहिष्णुता पर जिस तरह का देश-विदेश में #तमाशा खड़ा किया गया अब उसकी पोल खुल रही है, उसके देसी-विदेशी तार उघड़ रहे है और #बिहार_चुनाव तथा #पेरिस_हमले के बाद सहिष्णुता की सुपारी लेने वाले गिरोह को जैसे साँप सूँघ गया है।असली असहिष्णुता ने नकली असहिष्णुता की वाट लगा दी।
आखिर पिछले 70 सालों में तथाकथित सहिष्णुता के पुरोधाओं ने ही सर्वाधिक दंगे कराये हैं।फिर तथाकथित असहिष्णुता के पैरोकारों की समझ और रणनीति पर क्यों न समाज विचार करे? क्योंकि हमें एक समाज और देश के रूप में बने रहने के लिए सत्य और तथ्य से बड़ा कोई साथी नहीं हो सकता।हम सेकुलरिज़म के जन्म से हजारों साल पहले से ही #समरस_समाज बनाने में टेका रहे हैं , इसलिए झूठे सच की हमें जरूरत नहीं है ।
इस अर्थ में सिंघल जी इस #झूठे_सच को बेनकाब करने वाले शीर्ष योद्धाओं में एक थे।यह काम उन्होंने #राममंदिर आंदोलन चलाकर किया।

भारत में हजारों मंदिर तोड़े गए हैं और आज के जमाने में टेक्नोलॉजी की मदद से उनके बारे में जानकारी हासिल करना किसी के लिए भी संभव हो गया है।ऐसे में साम्प्रदायिक सद्भाव का घटना स्वाभाविक है।
श्री सिंघल ने इन हजारों मंदिरों के विध्वंस की जानकारी से पैदा होने वाले संभावित दुराव के मद्देनजर एक सार्थक और प्रतीकात्मक हल को सामने रखा: #राम_कृष्ण_शिव से जुड़े तीन स्थानों #अयोध्या_मथुरा_काशी के मंदिरों को पूरे तौर पर हिन्दुओं को सौंपकर बाकी सभी #मंदिरों_के_ध्वंस और उनसे जुड़े #विवादों को हमेशा के लिए समाप्त माना जाए।और यह तब की बात है जब #मोबाइल, #इंटरनेट और #सोशल_मीडिया नहीं थे।
इस तरह की बात कोई #दूरदर्शी, #उदारचेता और #हिम्मती व्यक्ति ही कर सकता है।इस अर्थ में श्री अशोक सिंघल सही मायने में राजनेता थे जिसने नीति के साथ समझौता नहीं किया और आलोचना'-अवमानना की परवाह न करते हुए राममंदिर निर्माण को आंदोलन की शक्ल दी।

#सिंघल_को_श्रद्धांजलि #अलविदा_अशोक_सिंघल
#राम_मंदिर_आंदोलन #नमन_अशोक_सिंघल

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