Thursday, November 12, 2015

अमेरिका में स्वागत व ब्रिटेन में विरोध का एक ही मतलब है

#अमेरिका में जब #भारत के #प्रधानमंत्री #नरेंद्र_मोदी का जोरदार #स्वागत हुआ था तो बड़ा अच्छा लगा था क्योंकि उसी अमेरिका में राष्ट्रपति #रोनाल्ड_रीगन के  जमाने में हमारी प्रधानमंत्री #इंदिरा_गाँधी की निजी #सुरक्षा_जाँच की गई थी जो काँग्रेसी चाटुकारों को सामान्य और #देशभक्तों को बहुत बुरा लगा था।

लेकिन #मोदी का अमेरिका में स्वागत से जितनी खुशी नहीं हुई उतनी ब्रिटेन में उनके #विरोध से हुई है।वह इसलिए कि ब्रिटेन का भारत #गुलाम रहा है और वहाँ #पाकिस्तानी मूल के लोगों की अच्छी संख्या है।
#भारत_विरोधी_मुहिमों को वहाँ खूब पनाह मिलती रही है।#कश्मीरी_हिन्दुओं के #जाति_नाश और अपने ही देश में #शरणार्थी बन जाने  को लेकर भले ही #प्रदर्शन नहीं हुआ हो लेकिन #कश्मीर_घाटी में #सेना की मौजूदगी पर जरूर होते हैं। #बीबीसी टीवी और रेडियो भी इसी लाइन को फाॅलो करते हैं।

ऐसे में लंदन में #मोदी_के_खिलाफ प्रदर्शन न होना आश्चर्य की बात होती।दुखद आश्चर्य क्योंकि पहले के प्रधानमंत्रियों को बरतानवी हुक्मरानों ने इस लायक भी नहीं समझा होगा कि उनके खिलाफ प्रदर्शन हो। क्यों ? क्योंकि वे
#स्वतंत्र_देश_के_मानसिक_तौर_पर_गुलाम_प्रधानमंत्री रहे होंगे।किसके गुलाम? बरतानवी हितों के।
नये भारत की ओर ब्रिटेन ललचाई निगाह से देख रहा है कि कल का उसका गुलाम आज ताकतवर और मालदार हो गया है।दूसरी तरफ अपनी हेकड़ी और
'#फूट_डालो_राज_करो ' की नीति भी नहीं छोड़ना चाहता । हमें इसका सम्मान करना चाहिए: रस्सी जले पर ऐंठन न जाए।
यह उन्हीं महान लोगों का देश है जिनके आते समय भारत की आय पूरी दुनिया की एक चौथाई यानी लगभग 25 % थी और जिनके जाते समय यह 2% से भी कम रह गई थी और जिन्होंने जाते-जाते देश को मजहब के आधार पर बाँटने का काम भी किया।ब्रिटेन जैसा तब था वैसा ही आज है सिर्फ आर्थिक ताकत तेजी से ढलान पर है।
#ModiInUK #Modi #MentalSlavery 

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