Sunday, November 8, 2015

बिहार चुनाव-I: सेकुलरिज़म के हुस्न का जलवा

सेकुलरिज़म के हुस्नोजवानी के जलवे से
कोई तलबगार कैसे बचे!

चलिये, बिहार भें #लालू-#नीतीश की जीत से एक बड़ा लाभ ये हो गया कि '#सेकुलरिज़म पर खतरे' का मुद्दा अब वे #पाकिस्तान-#सऊदी_अरब की मदद से
#संयुक्त_राष्ट्र में उठाने की जहमत नहीं उठाएँगे और देश का झगड़ा देश में ही नरेंद्र #मोदी_से_ इस्तीफा माँगकर निबटा लिया जाएगा।
बिहार में #सेकुलरिज़म की जीत हुई है।जैसे पहले #भागलपुर_दंगों के आरोपियों को सेकुलरिज़म का #गंगाजल पिलाकर लालू जी के #राजद ने पाप-मुक्त कर दिया था तथा दिनदहारे #हत्या , #बलात्कार, #अपहरण और #फिरौती के आरोपियों को भी सेकुलरिज़म का #गंगा_जमुनी_बालू खिलाकर उन्होंने #पाप_मुक्त कर दिया था, ठीक उसी उदारता के साथ #कम्युनल #भाजपा की कुसंगत में 18 साल रहे नीतीश कुमार को भी लालू जी  ने सेकुलरिज़म के #अबेजमजम से पाक कर दिया है।
और इसमें उन्हें ने #काँग्रेसी_शाही_घराने की खूब मदद मिली है जिस कारण वे #नेहरू_गाँधी और #मुलायम के नक्शे-कदम अपने बेटी-बेटों को #राजनीति_में_सेंट करने में सफल हुए हैं।
#सेकुलरिज़म_की_माया अपरंपार है।

#सेकुलरदास का कहना है कि अगर #कलिंग_युद्ध में हजारों सैनिकों के खेत रहने के बाद #बौद्धधर्म को अपनाकर #सम्राट_अशोक महान हो सकते हैं, करोड़ों लोगों की हत्या के बाद #स्टालिन और #माओ महान हो सकते हैं तो महज 15 साल के '#जंगलराज' के बाद लालू जी की पार्टी #सेकुलरिज़म_का_गंगाजल पीकर दोषमुक्त क्यों नहीं हो सकती?
सेकुलरदास ये भी कहते हैं कि #आयुर्वेदिक_दवा की तरह #राष्ट्रवाद का असर बड़ा मद्धम-मद्धम होता है जबकि #अंग्रेज़ी दवा की तरह #सेकुलरवाद का बड़ी तेजी से असर होता है।इसलिए सेकुलरिज़म के #हुस्नोजवानी के जलवे से कोई #तलबगार कैसे बचे!
बात भी सही है: "है अंधेरी रात में दीपक जलाना कब मना?"।

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