Wednesday, December 30, 2015

दलित चिंतक 2015: चिंतन से मुक्त, सेकुलर भत्ते की चिंता

दलित आलोचक की सबसे बड़ी खूबी होती है कि वह अपनी आलोचना बर्दाश्त नहीं कर सकता क्योंकि कुरान मजीद और होली बाइबिल की तरह उसके वाक्य अमर वचन होते हैं।
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डा अंबेडकर को उतना और वैसे ही समझना चाहता है जैसे अंग्रेज़, ईसाई मिशनरियाँ और इस्लामपरस्त लाबी चाहती हैं।
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उन्हें न डा अंबेडकर को सर्वांगीण पढ़ने में रुचि है न ही उनके निष्कर्षों के कारण जानने में, अंबेडकर के स्रोतों की तो बात ही मत करिये।
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मोटे तौर पर हमारे आदरणीय दलित चिंतक सेकुलराइटिस के ऐसे मरीज हैं जो अपना ईलाज जानबूझकर इसलिए नहीं कराते कि कहीं 'बीमारी भत्ता' मिलना बंद न हो जाए।
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निम्न में से जो भी उनपर आपको अच्छा लगे उससे उन्हें आप प्यार सहित नवाज सकते हैं-
बुद्धिजीवी
बुद्धिमान
बुद्धिविलासी
बुद्धिवंचक
बुद्धिविरोधी
बुद्धिवीर
बुद्धू
अरि-बुद्धि  ( Tribhuwan Singh )
बुद्धिपिशाच(" " " " " " " " " " "  " ")
बुद्धिभंजक( Shailendra Dhar )
कुपढ़
सुपढ़ ।

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