Friday, June 24, 2016

चीन नहीं, भारत खुद के कारण NSG का किला फतह नहीं कर पाया

#चीन के कारण #भारत #NSG का सदस्य नहीं बन पाया, आप यही सोच रहे हैं न? अगर ऐसा है तो आप तथ्यात्मक रूप से सही हैं, रणनीतिक रूप से नहीं।
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भारत खुद के कारण NSG का किला फतह नहीं कर पाया।सो कैसे?
चीन जानता है कि भारत के लोग 10 रुपये बचाने के लिए कामचलाऊ #चीनी_माल खरीदेंगे।चीन जानता है कि भारत के लोगों का #राष्ट्रप्रेम सिजनल है जो सिर्फ युद्ध और #पाकिस्तान के खिलाफ #क्रिकेट के समय मानसून की तरह आता है और फिर नदारद।
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चीन को याद है भारत के #कम्युनिस्टों के एक बड़े धड़े (जिसे आज #सीपीएम,  #माओवादी और #नक्सली कहा जाता है) ने 1962 में भारत पर उसके हमले का स्वागत किया था।चीन यह भी पता है कि भारत का सेकुलर-वामी विपक्ष घोर नक्काल और अराष्ट्रीय दृष्टि से लैश है।
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चीन को पूरा विश्वास है कि जो नेता #वोटबैंक के लिए भारत में ही अनगिनत 'पाकिस्तान' बनवा सकते हैं वे क्या खाकर और किस नैतिक ताकत से अपने देशवासियों को कहेंगे:
चीन ने हमारा एनएसजी पर हमारा साथ नहीं दिया, आप भी चीनी माल मत खरीदो?
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क्या इसी देश में #गाँधी जी के एक कौल पर लाखों लोगों ने अपने #विदेशी_कपड़ों_की_होली जलाई थी?
क्या #जापान और चीन का विकास बिना
#आर्थिक_राष्ट्रवाद के हुआ है? अगर नहीं तो नेताओं से ज्यादा भारत के लोगों को यह तय करना होगा कि वे पहले  #नागरिक हैं या #ग्राहक? अगर वे नागरिक हैं तो क्या #विपक्ष और क्या #सत्तारूढ दल, किसी की मजाल नहीं कि वह #राष्ट्रविरोधी हरकत करने की हिम्मत करेगा।फिर #मीडिया की क्या बात करना जो अपने पाठक-श्रोताओं की रुचियों के खिलाफ जाने की कल्पना भी नहीं कर सकता।
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लेकिन भारत के लोग अगर ग्राहक पहले हैं और नागरिक बाद में तो फिर चीन ही क्यों कोई भी दल या नेता सस्ते में कुछ भी दे-दिलाकर जो चाहे कर-करा ले, कोई फर्क नहीं पड़ेगा।
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तो असली मुद्दा यह भी नहीं है कि इस देश के नेता पहले नागरिक हैं या ग्राहक, असली मुद्दा यह है कि इस देश के मतदाता पहले नागरिक हैं या ग्राहक?
अगर #मतदाता पहले ग्राहक हैं तो नेता का पहले और आखिरी नागरिक होना कोई मायने नहीं रखता।
अगर मतदाता पहले नागरिक हैं तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि नेता क्या है क्योंकि नेता वही काम करेगा जिससे उसे वोट मिले और वोट तभी मिलेगा जब वह करोड़ों नागरिकों के सम्मिलित हित यानी राष्ट्रीय हित में काम करेगा।
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लब्बोलुआब यह है कि एनएसजी मामले में भारत भी जीता है और चीन भी।लेकिन चीन के नागरिक और ग्राहक दोनों जीते हैं जबकि भारत के सिर्फ ग्राहक।
तो फिर हार किसकी हुई? #मोदी की? नहीं, भारत के नागरिकों की ।

#NSG #China #India #Citizen #Consumers #EconomicNationalism
#Japan #CitizenVsConsumer  #Modi 

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