Tuesday, June 21, 2016

बिहार में शिक्षाः सरकार के बावजूद समाज के जिन्दा होने का सबूत


बिहार में शिक्षाः सरकार के बावजूद समाज के जिन्दा होने का सबूत

बिहार के पटवाटोली टोली गाँव के 14 छात्रों ने इस साल आईआईटी परीक्षा पास की है।पिछले साल 16 छात्रों ने सफलता पाई थी।शिक्षा के प्रति इस गहरे लगाव और इस कारण मिली उपलब्धि को सलाम।
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करीब आठ सौ साल पहले जब #नालंदा विश्वविद्यालय को #बख्तियार_खिलजी के नेतृत्व में शांतिदूतों ने जलाया था और सैकड़ों आचार्यों की हत्या की थी तब भी #बिहार की शिक्षा को उतनी चोट नहीं पहुँची थी जितनी #लालू_नीतीश के '#सामाजिक_न्याय' और '#सेकुलरवाद' ने पहुँचायी है। खिलजी के बावजूद बिहार की शिक्षा बची रही क्योंकि तब शिक्षा समाज के हाथ में थी, सरकार के नहीं।
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आज शिक्षा में राज्य #सरकार की भूमिका एक दबंग या माफिया की तरह है जिसका उदाहरण है
#बिशुन_राय_महाविद्यालय के टाॅपर छात्र-छात्राओं का जगजाहिर फर्जीवारा जो सरकारी अधिकारियों से मिलीभगत के बिना संभव नहीं था।
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दूसरी तरफ है समाज का सर्जनात्मक प्रयास जिसके उदाहरण हैं सुपर-30 और #गया का #पटवाटोली गाँव।
बुनकरों के इस गाँव से 14 छात्रों ने #आईआईटी में सफलता पाई है।यह असली कबीरपंथी गाँव है जो मन से #दलित नहीं है और आज पूरी दुनिया के लिए मिसाल है।
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आज के बख्तियार खिलजी लालू नीतीश को और दलितापा का स्यापा करनेवाले गिरोह को ठेंगा दिखाते हुए अपनी मंजिले मकसूद की ओर बढ़ते युवाओं को नमन ।

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