Tuesday, June 21, 2016

संविधान निर्माण में अंबेडकर की भूमिका को काफी बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है


अगर वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय ने ऐसा कहा है('Ambedkar's role in the constitution is a myth') तो इसमें सच्चाई है कि संविधान निर्माण में अंबेडकर की भूमिका को काफी बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है।एक तो संविधान ही कट-पेस्ट (नकल) है और दूसरे अंबेडकर जी इसकी लेखन समिति के अध्यक्ष थे न कि संविधान सभा के।
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संविधान सभा के अध्यक्ष थे बाबू राजेन्द्र प्रसाद।
अकेले राव साहेब (जो संविधान सभा के सलाहकार थे) ने 270 से ज्यादा अनुसूचियाँ लिखकर दी थीं।उनका नाम सुना है आपने?
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लेकिन यह भी सच है कि लेखन समिति के सदस्यों में से एक को छोड़ शेष सब बरायनाम ही थे, ज्यादातर काम बाबा साहेब अंबेडकर ने ही किया जिसका प्रतिकूल असर उनके स्वास्थ्य पर पड़ा।पंडित नेहरू जो न करा दें।
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मजे की बात है कि नेहरू जी ने अंबेडकर के लेखन समिति का अध्यक्ष बनने का विरोध किया था लेकिन चूँकि गाँधी जी अंबेडकर को चाहते थे इसलिए नेहरू जी चुप्पी लगा गए।लेकिन पंडित जवाहरलाल नेहरू अंतिम क्षण तक अंबेडकर विरोधी बने रहे और अंबेडकर के घोर विरोध के बावजूद कश्मीर संबंधी धारा 370 को संविधान में घुसेड़ कर ही माने।

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