Wednesday, June 8, 2016

नीतीश आज के बख्तियार खिलजी हैं ...

बिहार की शिक्षा का जितना नुकसान नीतीश राज में हुआ है वह अभूतपूर्व है।लालू जी भी नीतीश के सामने पानी भरें।

वह जमाना लद गया जब बड़ी संख्या में लोग आईआईटी और सिविल सेवा में चुने जाते थे।बिहार बोर्ड से पास उन जिन लोगों की उम्र 15 से 25 वर्ष है उन लोगों से पूछिये कि उन्हें किस शाख पर उल्लू नहीं मिला या उन्हें उल्लू नहीं बनाया गया या उन्होंने दूसरों को उल्लू नहीं बनाया? जातिवाद के विरोध और सामाजिक न्याय की आड़ में हर शिक्षण संस्थान में संविधान और शिक्षा की ही बलि चढ़ाई जाती रही है।बिहार की शिक्षा के चार दुश्मन हैं:
1. जयप्रकाश आंदोलन
2. डा जगन्नाथ मिश्र
3. लालू प्रसाद
4. नीतीश कुमार

परंतु सबसे बाद आए नीतीश कुमार ने ही सबसे ज्यादा मट्ठा डाला है शिक्षा की जड़ों में।
शिक्षकों के स्तर को गिराया और उनको स्थानीय राजनीति से जोड़ा (शिक्षामित्र); शिक्षकों को शिक्षकेतर काम से लाद कर उन्हें किरानी बना दिया; तथा योग्य शिक्षकों की भर्ती को गैरजरूरी माना।
नालंदा विश्वविद्यालय को जलाने से जितना नुकसान बिहार की शिक्षा को हुआ उससे कहीं ज्यादा नीतीश के उपरोक्त कदमों से हुआ है।

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