हे जेएनयू के अति संवेदनशील सेकुलर मित्रो!
हे जेएनयू के अति संवेदनशील सेकुलर मित्रो,
अख़लाक़ की हत्या पर दुःखोउत्सव से थोड़ा समय इस अभागी मलयाली दलित लड़की के लिए भी निकाल लेते...
उसी के लिए जिसे बलात्कार के बाद छुरे से गोद-गोदकर मारा गया...लगभग बोटी-बोटी करके...
हे अफ़ज़ल-प्रेमी याकूब-व्याकुल और भारत के टुकड़े-टुकड़े को लालायित शाँतिदूतो, जब ज़न्नत में 72 चिर-कुमारयाँ रिजर्व हैं तो इस धरती की कुमारियों को जीते जी जहन्नुम देने वालों की बेमन से सही भर्त्सना तो कर देते...
हे दलितापा के पैगंबरो, क्या पेट और पेट के नीचे के लिए आपने पेट के ऊपर को इतना गिरवी रख दिया है कि बलात्कार के बाद एक लड़की की जघन्य हत्या भी आपको डिगा न सकी?
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