ये जो पब्लिक है
ये जो पब्लिक है जो भी करती है ठीक ही करती है।
लालू सज़ायाफ्ता प्रसाद के हाथों बिहार में बिजली को ठेंगा दिखाते हुए लालटेन की वापसी करायी। अब लोग हत्या-अपहरण-फिरौती में लग गए तो लालू जी जंगल का चारा देखें कि हिंसक गतिविधियों पर टैम भेस्ट करें?
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लोगबाग तो इतना बकलोल हैं कि उन्हें यह तक याद नहीं कि हिटलर को कितना जनसमर्थन था यहूदियों को सच्चा रास्ता दिखाने के लिए।
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फ़िर जेहादियों को अवाम ने कितना समर्थन दिया था ताकि वे कश्मीरी हिन्दुओं को 1990 के दशक में सच्चा रास्ता दिखा सकें! आज 50 से ज़्यादा देशों की पब्लिक का जेहादियों को खुला समर्थन है ताकि वे पूरी दुनिया को दारुल इस्लाम ( शांति - आवास) में बदल सकें।
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लेकिन आज़ाद भारत के इतिहास में पहली बार हुआ है कि पब्लिक ने ठीक नहीं किया है। 30 वर्षों बाद एक ऐसी पार्टी को पूर्ण बहुमत दिया जो काँग्रेस नहीं है।
ख़ैर पब्लिक ने गुनाह किया है तो देश इसकी सज़ा अभी और भोगेगा।
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पहले 2G, 3G, ये G वो G होता रहता था और आजकल? शहर बुलन्द होता है राजमार्ग पर आधीरात में; देश की दशा ठीक करने के लिए सेकुलर नेताओं को पाकिस्तान से मदद माँगनी पड़ रही है; जेएनयू में 'भारत तोड़ो' शीर्षक नाटक का रिहर्सल कर रहे कलाकारों को भक्तों द्वारा देशद्रोही करार दे दिया जाता है।
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अब तो यही कहकर संतोष करना पड़ेगा कि पब्लिक भी तो इंसानों का ही समूह है और इंसानों से ग़लती हो जाती है। लेकिन यह अपवाद है जिससे नियम सिद्ध ही होता है कि "ये जो पब्लिक है, सब जानती है" और जो करती है अच्छा ही करती है।
लालू सज़ायाफ्ता प्रसाद के हाथों बिहार में बिजली को ठेंगा दिखाते हुए लालटेन की वापसी करायी। अब लोग हत्या-अपहरण-फिरौती में लग गए तो लालू जी जंगल का चारा देखें कि हिंसक गतिविधियों पर टैम भेस्ट करें?
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लोगबाग तो इतना बकलोल हैं कि उन्हें यह तक याद नहीं कि हिटलर को कितना जनसमर्थन था यहूदियों को सच्चा रास्ता दिखाने के लिए।
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फ़िर जेहादियों को अवाम ने कितना समर्थन दिया था ताकि वे कश्मीरी हिन्दुओं को 1990 के दशक में सच्चा रास्ता दिखा सकें! आज 50 से ज़्यादा देशों की पब्लिक का जेहादियों को खुला समर्थन है ताकि वे पूरी दुनिया को दारुल इस्लाम ( शांति - आवास) में बदल सकें।
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लेकिन आज़ाद भारत के इतिहास में पहली बार हुआ है कि पब्लिक ने ठीक नहीं किया है। 30 वर्षों बाद एक ऐसी पार्टी को पूर्ण बहुमत दिया जो काँग्रेस नहीं है।
ख़ैर पब्लिक ने गुनाह किया है तो देश इसकी सज़ा अभी और भोगेगा।
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पहले 2G, 3G, ये G वो G होता रहता था और आजकल? शहर बुलन्द होता है राजमार्ग पर आधीरात में; देश की दशा ठीक करने के लिए सेकुलर नेताओं को पाकिस्तान से मदद माँगनी पड़ रही है; जेएनयू में 'भारत तोड़ो' शीर्षक नाटक का रिहर्सल कर रहे कलाकारों को भक्तों द्वारा देशद्रोही करार दे दिया जाता है।
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अब तो यही कहकर संतोष करना पड़ेगा कि पब्लिक भी तो इंसानों का ही समूह है और इंसानों से ग़लती हो जाती है। लेकिन यह अपवाद है जिससे नियम सिद्ध ही होता है कि "ये जो पब्लिक है, सब जानती है" और जो करती है अच्छा ही करती है।
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