जो काम ग़ोरी और औरंगज़ेब ने भी नहीं किया वह काम आज़ाद भारत की सरकार ने कर डाला
जो काम ग़ोरी और औरंगज़ेब ने भी नहीं किया वह काम आज़ाद भारत की सरकार ने कर डाला
■
"आपका क्या नाम है?
"रमेश पंजाबी।"
"आप यहीं अजमेर के रहनेवाले हैं?"
"हाँ जी।मेरे पिताजी फौज में थे। उनको यह जगह इतनी अच्छी लगी कि यहीं बस गए।"
"यह शहर तो कभी पृथ्वीराज चौहान की राजधानी हुआ करता था।"
"सर जी, मेरे पिताजी ने बताया था कि दिल्ली पर भी उनका शासन हुआ करता था और वहाँ उनका किला भी था।"
"सही कहा उन्होंने। पृथ्वीराज के किले को ही आज किला राय पिथौरा कहते हैं।"
"सर जी, कैसा है वो किला?"
"कभी काफी बड़ा रहा होगा। अब तो ध्वंसावशेष ही है।"
"वही हाल पृथ्वीराज के यहाँ वाले किले का है।"
"मतलब?"
"तारागढ़ नाम था उस किले का लेकिन वहाँ अब मुसलमानों की बस्ती है।"
"मुझे वहाँ ले चलिये। मैं किले का भग्नावशेष देखना चाहता हूँ।"
"क्या फायदा? जो काम सैकड़ों सालों में मुहम्मद ग़ोरी से लेकर औरंगज़ेब तक नहीं कर पाए वो काम आज़ाद भारत की सरकार ने कर दिया।"
" क्या हुआ?"
"मैं पांचवीं में पढ़ता था।1972-73 की बात होगी,
तब तारागढ़ किला था। न जाने कहाँ-कहाँ से लोग आते गए और किले को तोड़-तोड़कर वहाँ बसते गए।"
"उनको सरकार ने रोका नहीं?"
"सर जी, आप तो सब समझते हैं। उन्हें मुफ्त की जमीन चाहिए थी और सरकार को वोट।"
"तब तो कुछ हिन्दू और अन्य समुदायों के लोगों ने भी बहती गंगा में हाथ धोया होगा?"
"नहीं। वहाँ 101 % मुसलमान रहते हैं।"
"ऐसा क्यों?"
"सिर्फ मुसलमान ही एकमुश्त वोट दे सकते हैं, बाकियों के वोट तो काँग्रेस-भाजपा में बँट जाते हैं।"
(14 दिसंबर को मेरी अजमेर यात्रा के दौरान अपने टैक्सी ड्राइवर से बातचीत।)
■
"आपका क्या नाम है?
"रमेश पंजाबी।"
"आप यहीं अजमेर के रहनेवाले हैं?"
"हाँ जी।मेरे पिताजी फौज में थे। उनको यह जगह इतनी अच्छी लगी कि यहीं बस गए।"
"यह शहर तो कभी पृथ्वीराज चौहान की राजधानी हुआ करता था।"
"सर जी, मेरे पिताजी ने बताया था कि दिल्ली पर भी उनका शासन हुआ करता था और वहाँ उनका किला भी था।"
"सही कहा उन्होंने। पृथ्वीराज के किले को ही आज किला राय पिथौरा कहते हैं।"
"सर जी, कैसा है वो किला?"
"कभी काफी बड़ा रहा होगा। अब तो ध्वंसावशेष ही है।"
"वही हाल पृथ्वीराज के यहाँ वाले किले का है।"
"मतलब?"
"तारागढ़ नाम था उस किले का लेकिन वहाँ अब मुसलमानों की बस्ती है।"
"मुझे वहाँ ले चलिये। मैं किले का भग्नावशेष देखना चाहता हूँ।"
"क्या फायदा? जो काम सैकड़ों सालों में मुहम्मद ग़ोरी से लेकर औरंगज़ेब तक नहीं कर पाए वो काम आज़ाद भारत की सरकार ने कर दिया।"
" क्या हुआ?"
"मैं पांचवीं में पढ़ता था।1972-73 की बात होगी,
तब तारागढ़ किला था। न जाने कहाँ-कहाँ से लोग आते गए और किले को तोड़-तोड़कर वहाँ बसते गए।"
"उनको सरकार ने रोका नहीं?"
"सर जी, आप तो सब समझते हैं। उन्हें मुफ्त की जमीन चाहिए थी और सरकार को वोट।"
"तब तो कुछ हिन्दू और अन्य समुदायों के लोगों ने भी बहती गंगा में हाथ धोया होगा?"
"नहीं। वहाँ 101 % मुसलमान रहते हैं।"
"ऐसा क्यों?"
"सिर्फ मुसलमान ही एकमुश्त वोट दे सकते हैं, बाकियों के वोट तो काँग्रेस-भाजपा में बँट जाते हैं।"
(14 दिसंबर को मेरी अजमेर यात्रा के दौरान अपने टैक्सी ड्राइवर से बातचीत।)
0 Comments:
Post a Comment
Subscribe to Post Comments [Atom]
<< Home