Thursday, December 15, 2016

नोटबंदी ने गाँव में मानों रामराज्य ला दिया है

13.11.16
लगभग तीन साल बाद गाँव गया था और 22 साल बाद छठ पर्व में।नोटबंदी ने गाँव में मानों रामराज्य ला दिया है; भेदभाव-ऊँचनीच को ताक पर रख सब एक जैसे हो गए दिखे।
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सातवीं पास मेरे एक सहपाठी ने तो मेरी औकात बता दी:
हो भाई, आधा-आधी नोटवा के कोई हिसाबे नहीं है। कुण्डली मार के नेतवा और सरकारी बाबू लोग सब उसपर बैठ गया है। दाऊद अउर आतंकवदिया सब भी 500-1000 के जाली नोटे पाकिस्तान से भेजता है। सरऊ सब का हो गया बँटाधार।
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बड़ा गर्व हुआ अपने सहपाठी पर और गाँव में जन्मे होने पर। भारत की आत्मा हैं इसके कम पढ़े-लिखे और निरक्षर लोग।अगर शहरी लोगों की तरह ये भी अंग्रेज़ियत के शिकार होते तो न गाँधी होते न मोदी और वाशिंगटन, लन्दन, बीजिंग या इस्लामाबाद में बैठे लोग भारत को नचनी-नाच नचाते।

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