अपने समय का सूर्य हूँ मैं : दिनकर
'संस्कृति के चार अध्याय' की स्वर्ण जयंती
Posted by Chandrakant P Singh on Friday, May 22, 2015
22 मई को दिल्ली के विज्ञान भवन में दिनकर की सुप्रसिद्ध रचनायें 'संस्कृति के चार अध्याय' और'परशुराम की प्रतीक्षा' का स्वर्ण जयंती समारोह मनाया गया जिसमें इतने दिनकर प्रेमी जमा हो गए कि बहुतों को प्रवेश नहीं मिला। बाद में आसपास पेड़ों की छाँव में दिनकर की कविता और गद्य खासकर 'संस्कृति के चार अध्याय' पर वे लोग चर्चा करते देखे गये।
इस स्वर्णजयंती समारोह के मुख्य अतिथि थे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आयोजन समिति के मुखिया थे पूर्व केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री, लोकनायक जयप्रकाश नारायण के निजी चिकित्सक रहे सांसद डा. सी पी ठाकुर जो कालाजार के ईलाज के लिए विश्वविख्यात हैं ।
नेहरू जी की 'भारत एक खोज ' को अगर आप पठनीय पुस्तक मानते हैं तो दिनकर जी की 'संस्कृति के चार अध्याय' बार-बार पढ़ने लायक और जीवन में बरतने लायक पुस्तक है ।
कवि केदारनाथ सिंह अक्सर कहते थे कि जब दिनकर का काव्य नहीं रहेगा तब भी उनका गद्य खासकर' संस्कृति के चार अध्याय' उन्हें हमेशा हमारे बीच जिन्दा रखेगा । खुद दिनकर ने लिखा है कि आने वाली पीढ़ियाँ उनकी इस पुस्तक को अपनाएँगी ।अगर मैं हिन्दी नहीं जानता तो इस पुस्तक को मूल भाषा में नहीं पढ़ पाने का अनिवर्चनीय अफसोस होता ।
'परशुराम की प्रतीक्षा' की रचना चीनी हमले के बाद हुई थी और यह कवि के गुस्से और संवेदना का अद्भुत संगम है I
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