मुसलमानों के बीच से नेतृत्व का नहीं उभरना एक खतरनाक संकेत
मुसलमानों के बीच से नेतृत्व का नहीं उभरना मुसलमानों के लिए ही नहीं, देश के लिए भी #खतरनाक है।
जैसे #समाज के हर #पिछड़े #तबके के बीच से धीरे-धीरे #नेतृत्व उभर रहा है और वे तबके अपना वाजिब #योगदान करते हुए विकास में अपना #हिस्सा माँग और ले रहे हैं, वही बात मुसलमानों पर लागू क्यों नहीं?
ऐसा इसलिए कि #मुसलमान समाजी तौर पर बेहद पिछड़े हैं और वे नहीं चाहते कि उनका यह #पिछड़ापन जाए क्योंकि इस पिछड़ेपन पर #मजहबी_ठप्पा लगा हुआ है।#शाहबानो केस इसका ज्वलंत उदाहरण है।
दूसरी बात यह है कि #राजनीतिक पार्टियों ने मुसलमानों के इस #मजहब_पोषित_पिछड़ेपन और #दकियानुसी सोच का बेजा लाभ उठाते हुए उनमें असुरक्षा भाव को कूट-कूटकर भरा है और सुनिश्चित किया है कि वे शादी-व्याह के मामले में मुसलमान-केन्द्रित यानी यथासंभव इस्लामी नियमों को ही मानें, न कि बाकी समुदायों पर लागू #समान_नागरिक_संहिता को।
इससे विलगाव पैदा होता है, एक ऐसा विलगाव जिसे संविधान से भी मान्यता दिला दी जाती है।इसे #सेकुलर कहा जाता है।जहाँ से #सेकुलरिज़म आया है वहाँ इसे #कम्युनल ही कहा जाएगा।
#शाहिद_सिद्दीकी ने एक मार्के की बात कही है।सेकुलर पार्टियों ने मुसलमानों का #भयादोहन कर उनसे वोट रूपी #जज़िया वसूला है।न ये पार्टियाँ चाहती हैं कि यह सिलसिला रुके न ही #कठमुल्ले।यानी #हिन्दू_बहुल राजनीतिक पार्टियाँ कठमुल्लों की मदद से मुसलमानों से वोटरूपी जज़िया 65 वर्षों से वसूल रहीं है।
शायद इसीलिए #असग़र_वजाहत साहेब ने कहा है कि मुसलमानों को राजनीति नहीं, #समाज_सुधार की जरूरत है ।
जैसे #समाज के हर #पिछड़े #तबके के बीच से धीरे-धीरे #नेतृत्व उभर रहा है और वे तबके अपना वाजिब #योगदान करते हुए विकास में अपना #हिस्सा माँग और ले रहे हैं, वही बात मुसलमानों पर लागू क्यों नहीं?
ऐसा इसलिए कि #मुसलमान समाजी तौर पर बेहद पिछड़े हैं और वे नहीं चाहते कि उनका यह #पिछड़ापन जाए क्योंकि इस पिछड़ेपन पर #मजहबी_ठप्पा लगा हुआ है।#शाहबानो केस इसका ज्वलंत उदाहरण है।
दूसरी बात यह है कि #राजनीतिक पार्टियों ने मुसलमानों के इस #मजहब_पोषित_पिछड़ेपन और #दकियानुसी सोच का बेजा लाभ उठाते हुए उनमें असुरक्षा भाव को कूट-कूटकर भरा है और सुनिश्चित किया है कि वे शादी-व्याह के मामले में मुसलमान-केन्द्रित यानी यथासंभव इस्लामी नियमों को ही मानें, न कि बाकी समुदायों पर लागू #समान_नागरिक_संहिता को।
इससे विलगाव पैदा होता है, एक ऐसा विलगाव जिसे संविधान से भी मान्यता दिला दी जाती है।इसे #सेकुलर कहा जाता है।जहाँ से #सेकुलरिज़म आया है वहाँ इसे #कम्युनल ही कहा जाएगा।
#शाहिद_सिद्दीकी ने एक मार्के की बात कही है।सेकुलर पार्टियों ने मुसलमानों का #भयादोहन कर उनसे वोट रूपी #जज़िया वसूला है।न ये पार्टियाँ चाहती हैं कि यह सिलसिला रुके न ही #कठमुल्ले।यानी #हिन्दू_बहुल राजनीतिक पार्टियाँ कठमुल्लों की मदद से मुसलमानों से वोटरूपी जज़िया 65 वर्षों से वसूल रहीं है।
शायद इसीलिए #असग़र_वजाहत साहेब ने कहा है कि मुसलमानों को राजनीति नहीं, #समाज_सुधार की जरूरत है ।
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