Sunday, September 20, 2015

प्रोफेसरों के बीच ओशो, जैसे कौओं में हँस...

प्रोफेसरों के बीच ओशो जैसे कौओं में हँस...
ब्राह्मण समाज में ज्यों अछूत नहीं?
या फिर बंदर के हाथ में नारियल?
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संता: भई, आजकल #सोशल_मीडिया पर #ओशो के पोस्ट खूब शेयर किये जा रहेगा हैं।
बंता: पुस्तक मेलों में उनकी किताबें भी खूब बिकती हैं।
संताः किसी ने तो यह तक लिख दिया कि भारत पिछले 30 सालों में उनसे ज्यादा किसी की किताबें नहीं बिकीं?
बंता: ब्रो, हो सकता है।जहाँ #प्रोफेसर लोग मुफ्त की किताबें पढ़ने में अपनी शान समझते हों, अपनी किताबें कट-पेस्ट कर लिखते हों, वहाँ लोगों को एक अन्य प्रोफेसर (#रजनीश ऊर्फ ओशों ) की किताबें अपनी ओर खींचें तो बिकी भी होंगी।
संता: लेकिन ज्यादा पढ़े-लिखे लोग उन्हें अच्छी निगाह से नहीं देखते?
बंता: यार, #कौओं के बीच हंस आ जाए तो आफिशियल #हंस कौन होगा?
संता: कौआ, और कौन?
बंताः तो भारत के #नकलची पढ़ुआ क्लास के बीच
#मौलिक_सोच वाले का और क्या हस्र होता?
संता: आज का दौर होता तो छेड़खानी_बलात्कार आदि के दर्जनों मामलों में जीवन भर के लिए अंदर कर दिए जाते!
बंताः वैसे, #अमेरिका ने भी उनके #ओरेगॅन_आश्रम को अपने कब्जे में ले ओशो को देश-बदर कर दिया था ।
संताः फिर क्या हुआ?
बंता: होता क्या ? लौट के बुद्धू घर को आये और कहते हैं वहीं पर दिये गए #थेलियम नामक धीमे ज़हर से आहिस्ता-आहिस्ता वीरतापूर्वक #मृत्यु का वरण किया ।
संताः ऐसा क्या कर दिया था उन्होंने अमेरिका जैसे आज़ादी पसंद देश में कि यह सब हुआ?
बंताः उन्होंने सप्रमाण यह कह दिया कि #ईसा_मसीह के मूल उपदेश #भारत से लिए गए हैं जहा वे 17 से 30 बरस की आयु तक रहे । बाइबिल भी उनके जीवन के इस दौर के बारे में मौन है।
संता: लेकिन इसमें ऐसी-वैसी कौन सी बात हो गई?
बंताः ये भी तो सिद्ध कह दिया था कि वे #सूली पर लटकाये गए थे पर मरे नहीं और उनके शिष्य उन्हें लेकर भारत आ गए जहाँ पर उनको #बोधिसत्व का दर्जा मिला यानी #महात्मा_बुद्ध जैसा।
संता: भारत में कहाँ?
बंता: #कश्मीर में, जहाँ #रोज़बल नाम से  उनकी #मज़ार है।
संताः लेकिन अमेरिका जैसे विकसित देश को यह बात क्यों नागवार गुजरी?
बंताः एक #समृद्ध_देश के #मजहब का जन्मदाता  भारत जैसे गरीब देश में क्यों जाये? जाये तो जाये, उसकी मज़ार भी वहीं हो और उसके सिद्धांत भी वहीं के  हो, यह बात #ईसाई_मिशनरी कैसे हज़म करते?
संता: लेकिन बात तो सही है न?
बंताः अब तू गलथेथरी मत कर।सत्य और मजहबी
आचार-संहिता में छत्तीस का रिश्ता होता है?
संताः जैसे?
बंताः ईसा मसीह को उनके हममजहबी #यहूदियों ने सूली पर लटकाया कि नहीं?
संताः तो भगवान #यीशू यहूदी थे?
बंताः ये लो! पूरी रामायण हो गई और सीता किसका बाप?
संताः यानी भगवान यीशू को  मानने वाले ईसाई हुए लेकिन वे यहूदी परिवार में जन्मे  थे । पर यहूदियों के तो अपने थे?
बंताः अपना-वपना कुछ नहीं।भगवान के नाम पर जनता को डराने-धमकाने वाले मजहबी ठेकेदारों को उनकी यही बात नागवार लगी कि भगवान #करुणामय है, क्षमाशील है, निर्धनों में बसता है, #सत्य और #अहिंसा उसे प्यारी है, आदि।
संताः मतलब भगवान  यीशू ने  उनके धंधे  पर ही सवाल खड़े कर  दिये?
बंताः हाँ।लेकिन आज हम  '#बजरंगी_भाई_जान'  फिल्म देखने चलेंगे,नाइट शो।बड़ी-बड़ी बातों से  हमारा #भेजा_फ्राई होने लगता । कुछ प्रोफेसरान के लिए  भी तो छोड़ दे।

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