जाति व्यवस्थाःथोड़ी-थोड़ी नफरत और ढेर सारा प्यार
जाति बड़ी विचित्र चीज है।
अब बहुत कम लोग घोषित तौर पर इसके समर्थक हैं लेकिन #अमेरिका में भी नौकरी करनेवाले बेटी-बेटे की शादी वे अपने जात-बेयादर यानी #बिरादरी में ही करना चाहते हैं ।
एक और मज़े की बात।जो घोषित तौर पर #जात_पाँत के विरोधी हैं, वे भी सिर्फ सवर्ण-विरोध करते हैं, जाति-#जनित_विभेद या #भेदभाव का विरोध नहीं करते ।
आखिर वह क्या है इसमें खास जिस दम पर जाति व्यवस्था #आजादी के लगभग सात दशक बाद भी कह सकती है:
कुछ बात है कि #हस्ती_मिटती_नहीं_हमारी!!!
इसकी विकृतियों पर बहुत लिखा जा चुका लेकिन अगर यह एक बीमारी है तो इसका #डायग्नोसिस हुआ है क्या?
नहीं हुआ तो क्यों?
कहीं इसलिए तो नहीं कि सब इससे थोड़ी-थोड़ी #नफरत और बहुत-बहुत प्यार करते हैं?
उस व्यक्ति की तरह #प्यार करते हैं जो आजीवन अपने #पहले_प्यार को भूल नहीं पाता लेकिन इसे कह भी नहीं पाता...
पर सपनों में उससे बातें करता है, उसकी बातें करता है...
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