Saturday, December 19, 2015

काँग्रेसियों के नाम नेहरू की पाती

प्रिय काँग्रेसियो,
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद!
आपके समर्थन का नतीजा है कि सत्ता में न रहते हुए भी  हम चोरी और सीनोजोरी कर सके।हमारी जगह भाजपा होती तो रो-गा रही होती।लेकिन हमने संसद को ठप रखा और पप्पू जैसे राजकुमार के बावजूद राज को ढहने नहीं दिया।

बुद्धिविरोधियों को ऐसे ही फँसा कर रखिए चाहे असहिष्णुता को पुनर्जीवित क्यों न करना पड़े, दुनियाभर की निजी समस्यायो के लिए भी मोदी को जिम्मेदार ठहराना पड़े, बेखौफ करिये। कुछ भी करिये पर सरकार और जनता को सोचने का मौका मत दीजिए।

भाजपा, संघ और हिन्दुओं को कट्टर कह-कहा दीजिए, इसी में दो साल निकल जाएगा।हीनभावना से ग्रस्त और बुद्धिविरोधी जमात जबतक समझेगी तबतक बहुत देर हो चुकी होगी।2018 में भाजपा चुनाव-मोड में आ जाएगी और तब होगी आपकी बल्ले-बल्ले।
भाजपा के लोग विपक्ष में रहना जानते हैं, सत्ता चलाना नहीं।
ये असली परेशानियों से निपटना जानते हैं, नकली से नहीं।
उसे शांतिकाल के छायायुद्ध का कोई तजुर्बा नहीं है।
यह  सब तो सिर्फ हमारा नेहरू-गाँधी राजवंश जानता है जिसे अंग्रेज़ों और भारतीयों दोनों से डील करने का 100 सालों से भी ज्यादा का तजुर्बा है।
अगले तीन सालों तक आपकी गलथेथरी और हेहरई की
अग्निपरीक्षा है।घबड़ाइये मत, टीवी , अखबार और बाॅलीवुड सब आपके साथ रहेंगे, सिर्फ सोशल मीडिया से खतरा है जिसे आप मूर्खो का टाइमपास और अविश्वसनीय घोषित कर दीजिए।

लेकिन ये भी ध्यान रहे, कटु पर सत्य बातें सोशल मीडिया पर ही सबसे पहले आती हैं , इसलिए उसकी बातों पर प्राइवेटली पूरा गौर करिये ।
आपका सबसे बड़ा दुश्मन है नई पीढी में राष्ट्रीयता का उभार।इसलिए आदर्श बोलवचन की तो माला फेरिए, पर यह मत भूलिये कि आपकी ताकत आदर्श नहीं, स्वार्थ है।आपके स्वार्थ ने आपको काँग्रेस से उस समय भी जोड़े रखा जब खुद  गाँधी जी इस पार्टी को भंग कर देना चाहते थे।गाँधी जी ने जीते जी टोपी नहीं पहनी लेकिन मरने के बाद जो आप लोगों ने उनको टोपी पहनाई वह आपकी जीजीविषा और स्वार्थ-निष्ठा का अनुपम उदाहरण है।
नेशनल हेराल्ड पर नेहरू-गाँधी राजवंश का नैसर्गिक अधिकार है।इसके लिए कागज-फागज की कोई जरूरत न तब थी न अब है।जिस किसी की सलाह पर कागजी कब्जे की कार्रवाई हुई हो उसे पूरा 'भक्त' मानिए और उसे ललित बाबू, राजेश पायलट और माधवराव सिंधिया जैसा सम्मान देने में कोई कोताही मत करिये , लेकिन थोड़ा सब्र के साथ ।

भक्तों का तो हमलोग वो हाल करेंगे जो नेताजी का किया था।बस स्कूल, कालेज और विश्वविद्यालयों को अपने हाथ से मत जाने दीजिए।ये हमारी फैक्टरियहाँ हैं जहाँ से अनजाने ही एक औसत हिन्दुस्तानी काँग्रेसी बनकर निकलता है।
बाकी आपकी क्षमताओं पर हमारा पूरा भरोसा है,
आपकी अपनी
काँग्रेस ।

(नोटः यह चिट्ठी 19 दिसंबर की रात सपने में चाचा नेहरू द्वारा दिए डिक्टेशन की हूबहू प्रस्तुती है जिसका किसी भी वास्तविक घटना से साम्य महज एक संयोग होगा।)
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