Monday, December 14, 2015

अघोरिया डेरावे थूक से!

यह कौन सी दकियानुसी बात कर दी आपने? बिना किसी युरोपीय चिंतक या अंग्रेज़ लेखक की किताब का नाम लिए वे साँस न लें और आप संस्कृत जैसी गैरवाजिब भाषा में लिखी भारतीय किताबों को उनपर थोपना चाहते हैं?
देखिए, मेकाले की मानस-संतानें आपका जीना दूभर कर देंगी।आप देश-संस्कृति से लेकर खुद उनको जितनी गालियाँ देनी है दे लीजिए लेकिन उनकी उच्चता की गंगोत्री यानी यूरोपीय ज्ञान और भारत में उसका दिग्दर्शन करानेवाले अंग्रेज़ों पर कोई सवाल न उठाइए।
नहीं तो?  नहीं तो वे 'चमत्कार का बलात्कार' करने से नहीं हिचकेंगे।
जी, वे दुनिया हिला देंगे। वाशिंगटन पोस्ट में लेख लिखकर आपको असहिष्णु घोषित कर देंगे फिर आपको जवाब देते नहीं बनेगा।
भला हो अमेरिकी सिनेटर ट्रंप का कि जो सवाल भारत में उठाये जा रहे थे वे ज्यादा जोरदार तरीके से अमेरिका में उठा दिए गए और प्रताप भानु मेहता, अशोक वाजपेयी, अमर्त्य सेन जैसे सहिष्णुता ब्रिगेड के लोग शांत हो गए।

गोनू ओझा कहते हैं कि कुछ भी नया नहीं है:
अघोरिया डेरावे थूक से।

0 Comments:

Post a Comment

Subscribe to Post Comments [Atom]

<< Home